फर्रुखाबाद: बिना उच्च अधिकारिओ और प्रभावशाली नेताओ के संरक्षण के बगैर लेखपाल भ्रष्टाचार नहीं कर सकता| इस संरक्षण में वो लोग भी शामिल होते है जिनके लिए लेखपाल रिश्वत के पैसे से हिस्सा देता है या उन्हें येन केन प्रकरेण लाभ पहुचाता है| इसमें डाक बंगले में प्रशासनिक अफसरो और सत्ताधारी नेताओ, चमचो और मंत्रीओ की आवभगत भी शामिल होती है| जनता को लूटने की खुली छूट मिलने में सत्ता समर्थक विधायक और जिले के बड़े अफसरो का संरक्षण होना भी जरुरी करक है| तो इन सब का निचोड़ यह है कि राजस्व विभाग में में भ्रष्टाचार की बहती निर्वाह लहरो में अचानक ही सुर्खिओं में आया लेखपाल प्रवेश सिंह तोमर को कौन कौन संरक्षण दे रहा है? ये, वो या दोनों|
ये, वो या दोनों-
‘ये’ में वे स्यंभू माननीय और कथित समाजसेवी शामिल होते है जो चुनाव लड़ते है, जनता से उनकी सेवा का वादा करके वोट मांगते है| लफ्फाजी में ये रिकॉर्ड तोड़ माहिर होते है| फर्रुखाबाद के चौक बाजार से बेसिक फ़ोन पर बात करते समय दूसरी और से बात करने वाले को हांगकांग से बोल रहा हूँ, बताने में भी चूक नहीं करते| बड़े ही भले और चतुर श्रेणी के ये लोग भ्रष्ट लेखपालो और चोर टाइप सरकारी कर्मचारीओ को पालते है| विवादित, नजूल (सरकारी) जमीनो पर कब्ज़ा करने के लिए इन लेखपालो की जरुरत पड़ती है| ये लेखपाल जिनके हाथ में सरकारी अभिलेख होते है उनमे कुछ भी जादू करने में तब नहीं चूकते जब इनके लाभ का पैमाना इनकी हैसियत से ज्यादा हो जाता है| तो नगर में कौन कौन माननीय इस प्रकार के कामो में संलिप्त है इस पर अलग अलग मत हो सकते है मगर सच यही है| ट्रान्सफर पोस्टिंग कराने में नेता फ़ोकट में काम नहीं करता| पैसा लेकर एक विधायक के प्रतिनिधि ने पूरी सूची ही बदलवा दी थी| बात कुछ एक साल पहले की है| तहसीलदार, एस डी एम, एडीएम डीएम ऐसी स्थितिओ में कुछ नहीं कर पाते क्योंकि सरकार के विधायक की सलाह मानना लोकतान्त्रिक विषय है| मगर फिर यही लेखपाल जनता का जमकर शोषण करते है| शिकायत कूड़े के ढेर में चली जाती है| कुछ एक में मुकदमा तब दर्ज होता है जब लेखपाल प्रवेश तोमर सरीखे अपने ही उच्च अधिकारी को निपटाने के लिए साम दाम दंड भेद सब एक कर देते है| वर्ना जिस मुकदमे में लेखपाल पर फतेहगढ़ कोतवाली में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज हुआ वो ५ महीने पुराणी डीएम को डी हुई शिकायत थी जिसे सबूतो के साथ आप पार्टी के लोगो ने शिकायतकर्ता के साथ डीएम साहब को दर्ज करायी थी, ठन्डे बस्ते में पड़ी रही| ये बात और है कि मामला इतना गम्भीर और पक्का और सबूतो के साथ है कि लेखपाल के हाथ की लगायी चारो रिपोर्ट भी शिकायतकर्ता के पास मौजूद है| और मामला फसेगा ही अगर कोई पुलिस वाला किसी नेता के दबाब में नहीं आया और अपने फर्ज का पालन कर सका|
दूसरी बात ‘वो’ पर-
वो लोग कौन है जो लेखपाल को बचा रहे है| क्या चुनाव लड़ने के इच्छुक नेता प्रवेश तोमर की पैरवी कर रहे है? या फिर कुछ लोग जो प्रवेश तोमर की कृपा से लाभ पा चुके है उसकी पैरवी कर रहे है| इनमे बहुत लोग हो सकते है| तलब की भूमि बेच करोडो कमाने वाले से लेकर हर माह नियमित रिश्व्त का हिस्सा लेने वाले अफसर भी| क्या ऐसे लोग आम जनता के गुनहगार नहीं है? क्या इन्हे समाज में इज्जत की नजर से देखना चाहिए? इस पर अलग अलग राय हो सकती है मगर राय तो राय है इस पर भी जनता का लोकतान्त्रिक और संवैधानिक अधिकार है|