लखनऊ: दिल्ली में ‘बहू’ शीला दीक्षित की हार ने उनकी ससुराल ऊगू को उदास कर दिया है। गांव ऊगू निवासी वरिष्ठ कांग्रेसी एवं पूर्व राज्यपाल उमाशंकर दीक्षित की बहू की जीत की उम्मीदें पाले लोग मन मसोस कर रह गए हैं। कचोटते मन से इतना भर कह पा रहे हैं कि बहू जीत जातीं तो उच्छा रहता।
फतेहपुर चौरासी ब्लाक के गांव ऊगू वालों ने तो ‘बहू’ की ऐसी पराजय को सपने में भी नहीं सोचा था। केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री और दो राज्यों के राज्यपाल रह चुके स्व. उमाशंकर दीक्षित के बेटे विनोद दीक्षित से शीला दीक्षित की शादी हुई थी। इमरजेंसी से पहले शीला दीक्षित का ज्यादा समय उन्नाव में ही गुजरता रहा था। इमरजेंसी के बाद उन्होंने उन्नाव संसदीय सीट से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें सिर्फ 122 वोट मिले। यह वोट भी उनकी ससुराल के लोगों ने दिए थे। ऊगू के लोगों ने भी उन्हें वोट नहीं दिया। इससे शीला दीक्षित को गहरा धक्का लगा था।
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आखिरी बार शीला 12 जनवरी 2008 को अपने ससुर उमाशंकर दीक्षित के जन्मदिन कार्यक्रम में शामिल होने ऊगू आई थीं। दो साल पहले उनके सांसद पुत्र संदीप दीक्षित भी बाबा के जन्मदिन कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। हालांकि वर्षों से परिवार का कोई भी सदस्य ऊगू में नहीं रह रहा है।
उनके करीबी जगदेव सिंह, उमाशंकर तिवारी आदि कहते हैं कि सियासत में हार-जीत तो होती रहती हैं लेकिन बहू की हार को यहां कोई पचा नहीं पा रहा है। मुद्दत बाद पूरा गांव उदास है। इतनी कचोट की वजह शीला का ऊगू से गहरा लगाव है।