नई दिल्ली। दिल्ली में हासिल अप्रत्याशित जीत के बाद केजरीवाल ने कहा – आम आदमी पार्टी की जीत दिल्लीवालों और इस के कार्यकर्ताओं की जीत है। साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि सरकार बनाने के लिए वे किसी भी दल से समर्थन नहीं मांगेगे। चनाव के बारे में उन्होंने कहा कि इस चुनाव में भ्रष्ट और ईमानदार के बीच मुकाबला था और ये जीत अब देश भर में फैलेगी। केजरीवाल ने कहा कि चुनाव परिणाम ने कांग्रेस, भाजपा सहित सभी पार्टियों को संकेत दे दिया है कि या तो वे सुधर जाएं नहीं तो जनता उन्हें उखाड़ फेंकेगी। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और निवर्तमान मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बारे में कहा कि उनकी दीक्षित से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के बाद दूसरा स्थान पाने वाली आम आदमी पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ते हुए इस मुकाम को पा कर जहां राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया है वही इसके संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी नई दिल्ली विधानसभा सीट से दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर इतिहास रच दिया है। ।
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पिछले 15 साल से शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं। वे नई दिल्ली विधानसभा सीट से जीतती आई हैं लेकिन इस बार उनके खिलाफ खुद अरविंद केजरीवाल मैदान में उतरे। हालांकि जब केजरीवाल ने शीला के खिलाफ नामांकन पत्र दाखिल किया तो विपक्षी पार्टियों की तरह सियासी जानकारों ने भी इसे अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा कदम बताया।
अरविंद की देखा देखी बाद में बीजेपी ने भी नई दिल्ली से ही अपने कद्दावर नेता विजेंद्र गुप्ता को मैदान में उतारा। गुप्ता ने अपने प्रचार के दौरान केजरीवाल को भाव न देते हुए उन्हें अगंभीर प्रत्याशी बताया और मुख्य मुकाबला शीला दीक्षित से ही बताया।
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रविवार सुबह जब वोटों की गिनती शुरू हुई तो जैसे पूरी बाजी उलट गई। शीला दीक्षित केजरीवाल से पिछड़ती चली गईं और विजेंद्र गुप्ता तो फाइट में ही नहीं दिखे। हर राउंड के बाद केजरीवाल की बढ़त और ज्यादा होती गई और जब गिनती खत्म हुई तो केजरीवाल ने 22 हजार वोटों से जीत हासिल की। दिल्ली में आप दमदार प्रदर्शन पर केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कहा, केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को दिल्ली में शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई।
अन्ना के आंदोलन के दौरान केजरीवाल की साथी रही किरण बेदी ने चुनाव नतीजों के बाद ट्विट किया, ‘भारतीय जनता पार्टी की सरकार और आम आदमी पार्टी के जिम्मेदार विपक्ष के रूप में दिल्ली के लोग एक जवाबदेही वाली सरकार की उम्मीद कर सकते हैं। हालांकि ये तभी होगा जब राज्य में राष्ट्रपति शासन न लागू हो’।