निष्कासन के लिए सपा में नोटिस का चलन नहीं…

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NARENDRA SINGH & RAMESWAR SINGH YADAVफर्रुखाबाद: समाजवादी पार्टी में जिसको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है उसे नोटिस देकर कारण पूछने का चलन नहीं है| इससे पहले पार्टी दो महासचिवों को एक झटके में बाहर का रास्ता दिखा चुकी है| कई कद्दावर अदावत में चलता किये जा चुके है| इधर दो विधायको और एक मंत्री को पार्टी के घोषित प्रत्याशियों के विरोध के कारण केवल नोटिस दिया गया और जबाब माँगा गया| मामला निष्कासन से ज्यादा मुश्के खीचने का ज्यादा लगता है|

फर्रुखाबाद में सपा प्रत्याशी रामेश्वर सिंह यादव के विरोध के आरोप में राज्य मंत्री नरेंद्र सिंह यादव को नोटिस देकर 10 दिन में जबाब माँगा गया है| दोनों ओर से जमकर शब्दो के तीर चले| पिछली छमाही में दोनों ओर से खूब मंचीय गोले दागे गए| इशारे इशारे में खुद को ताकतवर होने का एहसास भी कराया गया| पानी सर से ऊपर निकलने लगा तो नोटिस का भी इंतजाम हो गया| कमोवेश अब जबाब भी उसी शब्द जाल से शुरू होगा-शुरुआत किसने की| नाम किसी ने किसी का नहीं लिया| सफाई में कहा जायेगा सपा की नीतियों का बखान करते समय जनता में सपा के गुणवत्तापूर्ण होने का सन्देश देने में यह कह दिया कि “गुंडई और बदमाशी स्वीकार नहीं की जायेगी” तो क्या बुरा किया? आरोप जबाब में भी लगेगा| सबसे पहले बयान उधर से आया- उन्होंने घर में घुस कर ललकारा था- ” उन्हें दोस्ती और दुश्मनी दोनों निभानी ढंग से आती है”| कहानी यहाँ से शुरू हो गयी| मंचो पर टिकट बनी रहने की गाथा गायी जाने लगी| शिवपाल से लेकर रामगोपाल यादव तक को टिकट पर सफाई बार बार देनी पड़ी| मगर न धार इधर कम हुई न उधर की मोथरी हुई| चुन चुन कर तीर निशाने पर मारे जाने लगे| एक दूसरे के पक्षको को नीचा दिखाने के अवसर भी खूब इस्तेमाल हुए| सचिन में अपने दादाजी की याद में राजेंद्र नगर महोत्सव के बहाने अपने लोग इक्क्ठे किये तो कार्यक्रम को कमजोर कर देने के लिए चाले उधर से भी कम नहीं चली गयी| इसी को राजनीति कहते है| जब दोनों ओर से तीर चले तो लखनऊ में फैक्स भी हर रोज किये जाने लगे| और एक रोज खबर हुई कि मंत्रीजी को कारण बताओ नोटिस दिया जा रहा है|

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मगर नतीजा होगा क्या? चुनाव लड़ने और जीतने की बात तो जैसे गर्त में चली गयी है| जो कभी सचिन के टिकट कटने और रामेश्वर यादव को टिकट मिलने पर फेयरवेल मना रहे थे, पार्टी में नए आवागमन से कोप भवन में प्रवास करने लगे| दरअसल में जब रामेश्वर आये थे तब नरेंद्र सिंह यादव विरोधी खेमा पूरा एक हो गया था| रामेश्वर यादव ने खेमा बढ़ाया तो कुछ लोगो को अपना वजूद बचाना मुश्किल लगने लगा| कुछ खामोश हो गए तो कुछ वापस नरेंद्र सिंह यादव के यहाँ अँधेरे उजेरे कलेवा कर आये| समस्या फर्रुखाबाद में समाजवादी पार्टी के सामने भी है| प्रधानमंत्री बनने के लिए दिन रात एक लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के लिए अपने गढ़ में इस समस्या पर नर्सरी बच्चो की एक कविता अपनी बात खुल के कहती है-

म्याऊं म्याऊं, म्याऊं म्याऊं,
एक तरफ है दूध मलाई,
एक तरफ से चुहिया आई,
किसको छोडू- किसको खाऊं,
म्याऊं म्याऊं, म्याऊं म्याऊं||