फर्रुखाबाद के 300 वर्ष: बाग नासर खां से बना लिंजीगंज

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FARRUKHABAD : दीपक शुक्ला – वर्तमान में जहां किराने का सबसे बड़ा थोक का बाजार है और जहां से आस पास के क्षेत्र के छोटे बड़े दुकानदार अपनी दुकान के लिए किराने का सामान लेकर रोजगार चला रहे हैं तो वहीं हजारों की संख्या में लोगों को किराने की थोक दुकानों में रोजगार मिला हुआ है। आखिर इस जगह का नाम लिंजीगंज किसने रखा यह जानते हैं- bangas-ka-makbara copy

दर असल लिंजीगंज के स्थान पर बाग नासर खां नाम से एक बहुत बड़ा बाग हुआ करता था। समय बदला तो अंग्रेजी शासन आ गया। अंग्रेजी हुकूमत ने अपने हिसाब से पैर पसारने शुरू किये। इतिहास के पन्नों से मिली जानकारी के अनुसार बाग नासर खां की सुन्दरता पर तत्कालीन कलेक्टर लिण्डसे की नजर पड़ी और उसने बाग नासर खां के उत्तर और दक्षिण में दो भव्य गेट बनवा दिये और अपने नाम से कलेक्टर लिण्डसे ने बाग नासर खां को लिण्डसेगंज नाम दिया और बाद में वह लिंजीगंज कहा जाने लगा।

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उसी दौरान तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट ग्राट साहब ने लिण्डसेगंज (लिंजीगंज) के सुन्दरीकरण के लिए बहुत अधिक मेहनत और लगन से कार्य किया और भव्यता प्रदान की। इसलिए तत्कालीन कलेक्टर ने प्रभावित होकर लाल सराय के उत्तरी पूर्वी मोहल्ले का नाम नगर मजिस्ट्रट ग्राट के नाम से ग्राटगंज रख दिया। फिलहाल लिंजीगंज शहर की बहुत बड़ी व्यापारिक मण्डी बन गया।