लखनऊ: राजधानी लखनऊ में बुलाई गयी सपा की आपात मंथन बैठक समाप्त हो चुकी है। इस मंथन बैठक में मुलायम सिंह, अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव भी मौजूद रहे लेकिन पार्टी ने कोई बड़ा फैसला नहीं लिया।
उम्मीद की जा रही थी कि कुछ लोगों के टिकटों में भी फेरबदल हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी पदाधिकारियों की इलाके में लोकप्रियता और लोकसभा उम्मीदवारों की स्थिति की समीक्षा को लेकर भी पार्टी की तरफ से चुप्पी ही रही।
पार्टी की लखनऊ में होने वाली सबसे बड़ी रैली जो आगामी महीने की 14 तारीख को होनी थी उसे भी बिना कोई कारण बताए स्थगित कर दिया गया। ऐसा नहीं है कि रैली को लेकर तैयारियां पूरी नहीं थीं। माना जा रहा है कि अब तक की रैलियों में आ रही भीड़ से उत्साहित मुलायम सिंह अब राजधानी में जल्दबाजी में रैली नहीं करना चाहते।
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मुलायम ने बेटे अखिलेश यादव को ‘पार्टी का युवा चेहरा’ बना कर पेश किया था, लेकिन अब उन्हें यह फैसला गलत लग रहा है। इसलिए वह लोकसभा चुनाव की तैयारी खुद अपनी निगरानी में कर रहे हैं। उनकी पार्टी के दो सांसदों ने साफ कह दिया है कि मौजूदा हालात में वे सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं। ऐसे में मुलायम को अखिलेश से ज्यादा उम्मीदें नहीं दिखाई दे रही हैं।
अखिलेश को यूपी का मुख्यमंत्री बने 18 महीनों से ज्यादा समय हो चुका है। सपा के इस युवा मुख्यमंत्री ने पार्टी के लिए कई योजनाओं की घोषणा की तो कई महत्वपूर्ण योजनाओं को आकार भी दिया। अपने इस पूरे कार्यकाल में अखिलेश ने मुफ्त लैपटॉप और किसानों के लिए मुफ्त पानी जैसी कई लाभकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाया जो अब तक सपा में पहले नहीं हुई थी। बावजूद इसके उनके अभी तक के कार्यकाल में कई बड़े सांप्रदायिक दंगे भी हुए जिसने पार्टी की छवि लोगों में फिर खराब कर दी।
इसी कारण लंबे अरसे बाद यूपी में लौटी सपा की चिंताएं फिर बढ़ने लगी हैं। इसलिए सपा सु्प्रीमो मुलायम सिंह यादव चुनाव की कमान अपने हाथों में लेते नजर आ रहे हैं।