FARRUKHABAD : वद्री विशाल डिग्री कालेज में मौलाना अबुल कलाम आजाद की 125वीं जयंती के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मौलाना अबुल कलाम आजाद की उर्दू में खिदमात विषय पर विद्धानों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये।
गोष्ठी में मास्टर महमूद अली ने मौलाना आजाद की शख्सियत पर रोशनी डालते हुए शेर पढ़ा जहां पर मशवरे होते हों नफरत और तअस्सुब के, किसी की भी इबादत का हो घर अच्छा नहीं लगता। उच्चतर माध्यमिक विद्यालय याकूतगंज के मजहर मोहम्मद खां ने मौलाना के व्यक्त्वि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कला एवं संगीत आदि जो कुछ हम देख रहे हैं वह मौलाना आजाद की कोशिशों का नतीजा है।
कमालगंज से तशरीफ लाये सूफी शायर बहार चिश्ती ने हिन्दी एवं उर्दू में छन्द प्रस्तुत किया। हसीन अहमद अली ने मौलाना की सहाफत पर एवं उनके अदकी कारनामों पर अपने विचार व्यक्त किये।
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विशिष्ट अतिथि डा0 मोहम्मद मोहसिन ने मौलाना आजाद की अदवी खिदमात का जिक्र करते हुए बताया कि मौलाना आजाद उर्दू अखबार अलहिलाल और अलविलाग के जरिये उर्दू अदब की बड़ी खिदमत अंजाम दी। मौलाना की सेवाओं पर उन्हें भारत रत्न जैसे सर्वोच्च सम्मान की भारत सरकार ने दिये। उनके नाम से आज विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थायें स्थापित हैं। जिनमें मौलाना आजाद उर्दू विश्वविद्यालय हैदराबाद भी एक अजीम मिशाल है।
मुख्य अतिथि आदिल कामरान ने कहा कि मौलाना ने उर्दू भाषा के जरिये एक क्रांति पैदा कर दी थी। उन्होंने नाम का महत्व बताते हुए कहा अबुल कलाम का अर्थ है कलाम का बादशाह और सही मायने में आजाद कलाम के बाद शाह थे। उन्होने शेर पढ़ा – तुम भी पियो, हम भी पियें रब की मेहरबानी, प्यार के कटोरे में गंगा का पानी।
इस दौरान कालेज के प्राचार्य ने अतिथियों को प्रतीक चिन्हं देकर सम्मानित किया। संचालन उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 उमापति ने किया। उन्होंने शेर पढ़ा नाकूस और अजां में नहीं कैद कुरू व दीन, उसके लिए कि जिसका पदास्तश कहा है तू, गंगा नहाये शेख अगर तेरा इज्न हो, तेरा इशारा हो तो ब्राह्मन करे बुजू।
कार्यक्रम में डा0 आर एन त्रिपाठी, डा0 आर के तिवारी, प्रो0 ए के शुक्ला, डा0 माधुरी दुबे, प्रो0 रश्मि प्रियदर्शिनी, डा0 प्रभात सिंह, डा0 जितेन्द्र पाल, डा0 ह्रदेश कुमार आदि मौजूद रहे।