लखनऊ। सोलह मांगों को लेकर मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे प्रदेश के पांच लाख से अधिक कर्मचारियों तथा सरकार के बीच तल्खी बढ़ती ही जा रही है। राज्य कर्मचारियों की हड़ताल पर अब कोई निर्णय सोमवार को ही होगा। बुधवार को वार्ता विफल होने के बाद सरकार ने कल भी कर्मचारियों को बातचीत के लिए नहीं बुलाया। अब तीन दिनों तक छुट्टियों के चलते सोमवार तक हड़ताल खिंचने की आशका है। हड़ताल की वजह से कल तीसरे दिन भी अधिकांश विभागों में ताला पड़ा रहा। सिंचाई विभाग, जवाहर भवन- इंदिरा भवन के कई विभाग, वाणिज्य कर विभाग, तहसील, खेल निदेशालय, आरटीओ, रेशम निदेशालय, ग्राम पंचायत सफाई कर्मचारी समेत कई विभागों में कोई काम-काज नहीं हो सका। लिहाजा कर्मचारी और अधिकारी भी आराम करते रहे।
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सरकार अपना रही है हथकंडे
राज्य कर्मचारियों की प्रदेशव्यापी हड़ताल खत्म कराने को सरकार तमाम हथकंडे अपनाने में जुटी है। बुधवार को वार्ता विफल रहने पर गुरुवार को सरकार ने कर्मचारी संगठनों की एका तोड़ने की कोशिशें कीं। रणनीति के तहत अलग-अलग विभागों के कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों की मान-मनौव्वल का दौर चला और मांगे मानने का आश्वासन दिया गया। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को मनाने के लिए खुद स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन को आगे किया गया है। इन प्रयासों से कोई सफलता नहीं मिली और हड़ताल जारी है। सरकार के अलग-अलग वार्ता करने का कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है और बातचीत के लिए शीर्ष संगठन को ही अधिकृत किया है।
तीन दिन तक नहीं होगा कोई सुधार
मुहर्रम का अवकाश होने के कारण आज, कल और रविवार को भी इस हड़ताल के खत्म होने के आसार नहीं हैं। अब सोमवार को ही कोई बात होगी। फिलहाल हड़ताल से सरकार को 12 सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का राजस्व संग्रह कार्य प्रभावित हुआ है। सर्वाधिक प्रभाव वाणिज्य कर, आबकारी, आरटीओ, कर निबंधन व राजस्व संग्रह महकमे पर पड़ा है। हालांकि आबकारी, स्टांप, वाणिज्यकर महकमों ने बयान जारी कर किसी तरह के नुकसान से इंकार किया है।
हड़ताल तोड़ने के प्रयास
स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने विभाग के कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों से वार्ता की। इसी तरह राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव किशन सिंह अटोरिया ने राजस्व संग्रह अमीन संघ के हड़तालियों से बात की। वाणिज्यकर विभाग के प्रमुख सचिव बीरेश कुमार ने महकमे के हड़ताली कर्मचारी नेताओं को समझाने की कोशिश की। लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि जबतक सरकार उनकी मांगों को लेकर शासनादेश जारी नहीं कर देती तबतक वे हड़ताल जारी रखेंगे। अलग-अलग वार्ता के लिए बुलाए जाने पर अधिकार मंच के महामंत्री शिवबरन सिंह यादव और भूपेश अवस्थी ने निंदा की है।
दफ्तरों में सन्नाटा
हड़तालियों के मांग पर अड़े रहने के कारण तीसरे दिन भी दिन भर राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में ताले झूलते रहे। राज्य कर्मचारी अधिकारी मंच के अध्यक्ष मंडल हरि किशोर तिवारी व अजय सिंह के अनुसार हड़ताल के दौरान प्रदेश में कुछ जगहों पर छिटपुट झड़प को छोड़कर कही से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। इंदिरा नगर स्थित विकास भवन में हड़तालियों और विरोधी कर्मचारी संगठनों के नेता राम नरेश सिंह के बीच कार्यालय बंद कराने को लेकर तनातनी हुई। गोरखपुर-बस्ती मंडल में व्यापक असर दिखा। कार्यालयों में सन्नाटा छाया रहा। रजिस्ट्री कार्यालय में कामकाज नहीं हुए, जबकि पिछले दो दिन ऐसा नहीं था। कोषागार से भी भुगतान नहीं हो सका। कर्मचारियों ने सरकार को सद्बुद्धि के लिए हवन किया। वाराणसी समेत पूरे पूर्वाचल में भी कर्मचारियों ने जगह-जगह सभाएं की और सरकार को कर्मचारी हितों की अनदेखी का खामियाजा भुगतने की चेतावनी दी। इलाहाबाद में सभी कार्यालयों में तालाबंदी रही। प्रशासन ने कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बिंदुवार समीक्षा शुरू कर दी है। पश्चिमी उप्र के जिलों में हड़ताल का मिलाजुला असर देखने को मिला।
विभागवार हड़तालियों की संख्या
पीआरडी – 2.60 लाख
पंचायत कर्मी – 1.85 लाख
चिकित्सा और स्वास्थ्य – 1.30 लाख
स्थानीय निकाय – 1.10 लाख
आशा बहुएं व बाल विकास पुष्टाहार – 1.00 लाख
सिंचाई – 80 हजार
शिक्षणेत्तर – 75 हजार
पीडब्ल्यूडी – 55 हजार
ग्राम्य विकास – 44 हजार
राजस्व – 33 हजार