FARRUKHABAD : जनपद में एक के बाद एक यातायात निरीक्षक बदलते रहे लेकिन उनकी कार्य प्रणाली में आज तक कोई बदलाव आता दिखायी नहीं दे रहा है। यातायात को सुचारू रूप से चलाने व वाहन चालकों के निरीक्षण के लिए विभाग द्वारा खरीदे गये लाखों के सामान स्टोर रूम में धूल फांक रहे हैं लेकिन आज तक उनका कोई उपयोग नहीं किया गया है।
आये दिन दुर्घटनाओं पर दुर्घटनायें हो रही हैं। लोग नशे में गाड़ियों को तेज रफ्तार में चलाकर अपनी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं, लेकिन इस मुद्दे पर यातायात निरीक्षक व जिम्मेदार अधिकारियों को बात करने का कोई वक्त नहीं है। दुर्घटनाओं के बढ़ने का जिम्मेदार कहीं न कहीं यातायात विभाग ही है। वाहन चेकिंग के नाम पर पुलिस द्वारा आये दिन वसूली अभियान चलाया जाता है। लेकिन आज तक वाहन चेकिंग से कोई सुधार नाम की चीज नहीं आयी। हेलमेट नहीं है तो 50 रुपये दे दो, ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है तो 100 रुपये दे दो और यदि गाड़ी का कोई कागज नहीं है तो 200 से 500 रुपये तक में काम चल जायेगा। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या इससे यातायात व्यवस्था में स्थाई सुधार हो सकता है।
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शायद इसका ख्याल जिम्मेदार अधिकारियों को कभी नहीं आया। इसीलिए आज तक इन निरीक्षण अभियानों में विभागीय निर्देशानुसार यातायात इन्ट्रूमेंट का प्रयोग नहीं किया गया। विभाग में वाहन चालकों की शराब के नशे में होने या न होने का तत्काल परीक्षण के लिए ब्रीथ ऐनालाइजर के अलावा कई प्रकार के सामान धूल फांक रहे हैं।
इस सम्बंध में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ओपी सिंह ने यातायात निरीक्षक को क्लास भी लगायी थी कि विभागीय नियमों के अनुसार यातायात निरीक्षण में उपलब्ध सामान का प्रयोग क्यों नहीं किया जा रहा है। उन्होंने निर्देश दिये थे कि इस सामान का जैसा संभव हो प्रयोग किया जाये जिससे काफी कुछ व्यवस्था में सुधार किया जा सकता है। लेकिन वाहन चेकिंग होती रही, लोगों की जेबें भी ढीली होती रहीं और हो रहीं हैं लेकिन न यातायात नियमों को कोई बताने वाला या समझाने वाला है और न ही उसमें उपयुक्त होने वाले इन्ट्रूमेंट को प्रयोग में लाया गया। जिससे आये दिन दुर्घटनायें हो रही हैं और लोग शराब के नशे में अपनी जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
वहीं एक और देखने वाली बात यह है कि यातायात सप्ताह में भी होर्डिंग बैनर, दीवार पेंटिंग में विभाग द्वारा लाखों के वारे न्यारे कर दिये जायेंगे लेकिन विभागीय स्तर पर मौजूद सामान का प्रयोग इस दौरान भी नहीं होगा, ऐसा अभी से ही तय माना जा रहा है। इसे विभागीय अधिकारियों की शिथिलता कहें या काम के प्रति यातायात निरीक्षक की हीलाहवाली। जो भी यातायात पर खर्च हो रहे सरकारी धन का लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिसके लिए यातायात विभाग पूरी तौर पर जिम्मेदार है।
इस सम्बंध में जब यातायात निरीक्षक से बात की गयी तो उनका सरकारी मोबाइल नम्बर स्विच आफ मिला।