लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (एसआइटी) ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआइडीसी) में भू उपयोग परिवर्तन और भूखंड घोटाले की जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक एसआइटी ने पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, पूर्व एमडी एसके वर्मा, तत्कालीन विशेष सचिव अनवारूल हक और एमके गुप्ता, संयुक्त प्रबंध निदेशक तपेन्द्र प्रसाद, अधीक्षण अभियंता संजय तिवारी, मनमोहन, आरके चौहान, केके यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की अनुमति मांगी है।
सूत्रों के मुताबिक गाजियाबाद में हुए भूखंड घोटाले में उपरोक्त सभी अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गयी है। कुल 18 भूखंडों के मामले में जांच एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट भेजी है। यूपीएसआइडीसी के इस घोटाले में बसपा शासन में एसआइटी को जांच दी गयी थी, लेकिन रसूख और अन्य हथकंडों के चलते इसे अंतिम मुकाम तक पहुंचने से रोका जा रहा था। अदालती आदेश के बाद सपा शासन में इस जांच ने जोर पकड़ा, लेकिन कई बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए शासन ने जांच एजेंसी और संबंधित विभाग से जानकारी मांगी। इस सिलसिले में छह सितंबर को यूपीएसआइडीसी के प्रबंध निदेशक मनोज सिंह और एसआइटी के एडीजी एकेडी द्विवेदी के साथ तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव ने बैठक की। इस बैठक में सभी आपत्तियों का निस्तारण कर कुछ आवश्यक सुधार के निर्देश दिए गये थे। इसके बाद जांच एजेंसी ने नये सिरे से अपनी रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंप दी है।
क्या है घोटाला : ट्रोनिका सिटी, गाजियाबाद, साहिबाबाद, सूरजपुर आदि क्षेत्रों में भूखंडों का परिवर्तन और विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में भूखंडों का आवंटन किया गया। अधिकारियों ने बाराबंकी, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बरेली आदि जिलों में स्थित औद्योगिक क्षेत्रों में भू उपयोग परिवर्तन किया। अधिकारियों के मनमाने रवैये के कारण ही भूखंडों पर उद्योग की जगह होटल, शॉपिंग मॉल और इंजीनियरिंग कालेज स्थापित हो गए। एक अधिकारी पर जहा कम दर पर भूखंड खरीद कर कालेज स्थापित करने का आरोप है तो दूसरे अधिकारी पर कुशवाहा की कंपनी को भूखंड दिलाने और फिर उसी भूखंड को खरीद कर उस पर कालेज बनाने का आरोप है। बाबू सिंह कुशवाहा और उनके करीबी सुशील कटियार के इशारे पर भी ये गड़बड़ी की गयी। अफसरों ने इसमें करोड़ों की उगाही की।
सीएजी ने भी पकड़ी गड़बड़ी : 2011 में ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर औद्योगिक क्षेत्र में रुप हाउसिंग के पाच भूखंडों को रिजर्व प्राइस के नियमों का उल्लंघन करते हुए कम दामों पर आवंटित किया जिससे 110 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वहीं गाजियाबाद की ट्रोनिका सिटी योजना में अगस्त 2006 से मार्च 2007 के बीच रुप हाउसिंग के आठ भूखंडों व 34 वाणिज्यिक भूखंडों का आवंटन निर्धारित प्रक्रिया के विपरीत किया गया जिससे बाजार दर पर 152 करोड़ रुपये की हानि हुई। यह गड़बड़ी सीएजी ने अपनी जांच में पकड़ी। सूत्रों के मुताबिक एसआइटी की जांच रिपोर्ट में भी ये तथ्य शामिल हैं।
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सीबीआइ भी कर रही जांच : यूपीएसआइडीसी घोटाले की जांच का दायरा अब काफी व्यापक है। इसकी जांच सीबीआइ भी कर रही है। सीबीआइ ने अदालत से इस जांच को पूरा करने के लिए तीन माह का और समय मांगा है।