FARRUKHABAD : सुबह से ही रावण के दहन को देखने के लिए दूर दूर से दर्शकों का आना शुरू हो गया था। शाम तकरीबन सात बजे भगवान श्री राम ने रावण के नाभि में तीर मारकर उसे धराशाही किया। धराशाही होते ही श्री राम के जयकारे लगने लगे।
बढ़पुर स्थित क्रिश्चियन ग्राउंड में रावण, मेघनाथ व कुम्भकरण के पुतले लगाये गये। रावण का पुतला 60 फिट का एवं मेघनाथ व कुंभकरण का पुतला 55 फिट का बनाया गया था। पुतले को राजस्थान के इन्डोन सिटी जिला कसेली के ठेकेदार सलीम ने तैयार करवाया। भारी भरकम पुतलों के चारो तरफ सुरक्षा व्यवस्था कड़ी थी।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम व श्री लक्ष्मण ने रथ पर सवार होकर रावण से काफी देर घमासान युद्ध किया। रावण की सेना व श्री राम की सेना में घमासान चला। गर्जना कर रहे रावण की आवाज सुनकर लोग कौतूहल से भरे रहे। एक दूसरे को चुनौती पर चुनौती दे रहे लंकापति रावण व अयोध्या के युवराज भगवान श्री राम ने एक दूसरे पर जमकर अपनी शक्तियों का प्रयोग किया। आखिर वही हुआ जो हमेशा होता चला आया। असत्य पर सत्य की विजय हुई। विभीषण के इशारे पर भगवान श्री राम ने रावण की नाभि में तीर मार दिया। रावण भारी गर्जना के साथ पृथ्वी पर गिर पड़ा। देवताओं ने भगवान श्री राम लक्ष्मण पर पुष्प वर्षा की व दर्शकों ने भी जय श्री राम के नारे लगाये।
[bannergarden id=”8″][bannergarden id=”11″]
कुछ समय बाद कुम्भकरण के पुतले में आग लगा दी गयी। कुम्भकरण के बाद रावण के पुतले को दहन कर दिया गया। उसके बाद मेघनाथ के पुतले को आग लगा दी गयी। रावण के पुतला दहन होते ही आये दर्शकों ने मेले का जमकर लुत्फ उठाया। मेला कमेटी के अलावा समाजवादी पार्टी की सरकार में श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष सतीश दीक्षित भी मौजूद रहे।
रावण से युद्ध के दौरान घोड़े से गिर पड़े राम चन्द्र जी के स्वरूप
जिस समय सरस्वती भवन से क्रिश्चियन ग्राउंड के लिए राम रावण युद्ध करते हुए बढ़ रहे थे। उसी दौरान चौक पर श्री राम के स्वरूप बने युवक का घोड़ा विदक गया। जिससे वह जमीन पर गिर गये और घोड़ा भाग खड़ा हुआ। जिससे मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने घोड़े को पकड़कर शांत किया और स्वरूप को फिर घोड़े पर बैठाकर लीला का प्रदर्शन शुरू करवाया।