रावण जी की आज पुण्यतिथि है| इस मौके पर मैं रावण को सादर नमन करता हूं| रावण को मैं असली योद्धा मानता हूं| आपने झुकने या टूटने की जगह अंतिम दम तक लड़ाई लड़ना पसंद किया और लड़ते हुए प्राण त्यागने को अपना गौरव समझा| कायरों की इस दुनिया में जिनकी थोड़ी-थोड़ी, छोटी-छोटी बातों से हवा निकल जाती है, उन्हें रावण से सबक लेना चाहिए कि हर हालत में, चाहें भले ही हार सुनिश्चित हो, मौत तय हो, आपको अपने साहस के साथ डटे रहना चाहिए… रावण ने अपने परिजन शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए आखिरी दम तक लड़ाई लड़ी…
रावण को हराने के लिए दुश्मन पार्टी ने रावण के खानदान में फूट डलवाने की रणनीति अपनाई और एक भाई को गद्दार बनने को प्रेरित किया, जिसमें सफलता भी पाई… इन्हीं कारणों से रावण जी की हार हुई… दुश्मन पार्टी के लेखकों-कवियों ने रावण जी को महान खलनायक बनाने की पूरी कोशिश की और इसमें सफलता पाई… जबकि वे अपने पक्ष की बुराइयों पर रोशनी डालते कम देखे गए| रावण की दुश्मन पार्टी ने बाली का बध धोखे से किया| लेखक ने उसे नीतिगत बताया| मरते मरते भी रावण ने दुश्मन पार्टी के लक्ष्मण को ज्ञान दिया|
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रावण ने अपनी बहिन की नाक काटे जाने पर दूसरी पार्टी की औरत का अपहरण कर डाला जिसे दुश्मन पार्टी छलपूर्वक उठाया गया कदम बताया लेकिन दुश्मन पार्टी ने जब छलपूर्वक रावण के एक भाई का ब्रेनवाश कर उसे अपनी पार्टी में मिला लिया तो इसे सत्यकर्म साबित करने में जुट गए… कुल मिलाकर राम, रावण, रामायण पर नए सिरे से सोचने विचारने की जरूरत है और रावण को फूंकने की जगर उनसे बहुत कुछ सीख लेना वक्त का तकाजा है…
भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से