आखिरकार वही हुआ जिसकी संभावना थी। राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए विहिप की तरफ से 18 अक्तूबर को देश भर में आयोजित संकल्प सभाओं पर यूपी में सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है।
राज्य सरकार के इस कदम ने संघ परिवार की राह आसान बनाने के साथ ही उसे कुछ मुश्किलों से भी निजात दिला दी है। इससे भगवा खेमे की बांछें खिल गई हैं। विहिप के केंद्रीय मंत्री व राम जन्मभूमि आंदोलन से शुरू से ही जुड़े पुरुषोत्तम नारायण सिंह कहते हैं कि प्रतिबंध से हम और मजबूत होंगे। बात सही भी लगती है। सरकार प्रतिबंध न लगाती तो भीड़ और आयोजन के स्वरूप को लेकर संघ परिवार की शक्ति का विश्लेषण होता।
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अब भीड़ जुटे न जुटे, विहिप के जरिये भगवा टोली सपा पर हिंदुओं की दुश्मन होने का आरोप लगा सकती है तो सपा इसी बहाने एक बार फिर खुद की मुस्लिम हितैषी छवि को और तराश सकती है।
किसी एक स्थान पर विहिप ने कुछ लोगों को भी जुटा लिया तो वह दावा करेगी कि उसने सरकार की सख्ती के बावजूद श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का संकल्प लेकर दिखा दिया। वहीं सपा सरकार की तरफ से दावा होगा कि उसने सांप्रदायिक ताकतों को परास्त कर दिया।
इन मुश्किलों से मिली निजात
इस फैसले ने भगवा मंडली की कुछ और मुश्किलों का हल निकाल दिया है। दरअसल, संकल्प सभाओं के अगले दिन कानपुर में मोदी की रैली होनी है। उत्तर प्रदेश में मोदी की यह पहली रैली होगी। स्वाभाविक है कि भगवा मंडल की पूरा जोर इस रैली में भीड़ जुटाने का रिकॉर्ड बनाने पर है। इस रैली में जुटने वाली भीड़ पर ही मोदी व भगवा खेमे की आगे की राह तैयार होगी। यही नहीं, कानपुर के छह दिन बाद ही बुंदेलखंड के झांसी और उसके दस दिन बाद अवध क्षेत्र में ही बहराइच में रैली होगी। अगर, प्रतिबंध न लगता तो संघ परिवार के लिए संकल्प सभाओं में भी शक्ति प्रदर्शन का दबाव रहता। इससे उसका ध्यान बंटता। अब प्रतिबंध के साथ ही संकल्प सभाओं में भीड़ जुटाने की फिक्र से उसे निजात मिल गई।
विहिप बोली, होकर रहेंगी सभाएं
विहिप पदाधिकारी पुरुषोत्तम नारायण सिंह कहते हैं कि 18 अक्टूबर की संकल्प सभाओं पर प्रतिबंध नहीं लग पाएगा। संघ की सभी शाखाओं, विहिप की सभी छोटी-बड़ी इकाइयों पर ये सभाएं होंगी। विहिप का उद्देश्य पूरे देश में लोगों को यह बताना है कि मुस्लिम वोटों की खातिर हिंदुओं के साथ किस तरह बर्ताव किया जा रहा है। सरकार अपनी सत्ता की ताकत से भले ही कुछ स्थानों पर हिंदुओं का उत्पीड़न करके और डराकर अपने मकसद में कामयाब हो जाए। पर हिंदू समाज 18 अक्तूबर को सपा, बसपा और कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता की पोल खोलकर रहेगा। साथ ही यह संदेश भी देकर रहेगा कि ये दल मंदिर निर्माण नहीं होने देना चाहते।