नेशनल रूरल हेल्थ मिशन (एनआरएचएम) में आए दिन घोटाले की बदनामी से पीछा कुछ यूं छूटा। स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ करने के लिए शुरू की गई इस योजना का स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने नाम ही बदल दिया है।
इसे अब नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के नाम से जाना जाएगा। यह फैसला नेशनल अरबन हेल्थ मिशन (एनयूएचएम) को शुरू करते समय लिया गया था।
एनआरएचएम और एनयूएचएम अब नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत आएंगे। इसी के साथ मिशन के ‘लोगो’ को बदल दिया गया है। उससे अब रूरल शब्द को हटा दिया गया है।
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उल्लेखनीय है कि यूपी में एनआरएचएम में 5700 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था तो दूसरे राज्य भी गड़बड़ियों में पीछे नहीं रहे।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवाएं को सुदृढ़ करने की योजनाएं अब नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत आएंगी। हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूपी सहित सभी प्रदेशों और केंद्र शासित राज्यों को इस आशय का एक पत्र भेजा है।
प्रदेश के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि एनआरएचएम और एनयूएचम के लिए अलग-अलग बजट जारी किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बजट पहले ही जारी किया जा चुका है।
जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन प्लान (पीआईपी) बनाकर अभी भेजा गया है। विशेषज्ञों ने बताया कि एनआएचएम के मिशन निदेशक को एनएचएम निदेशक कहा जाएगा। जबकि अरबन और रूरल हेल्थ मिशन के लिए अलग-अलग अपर मिशन निदेशक बनाए गए हैं।
नई योजना में क्या
शहरी क्षेत्रों की मलिन बस्तियों और ऐसे स्थानों पर रहने वालों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करायी जाएंगी, जो ग्रामीण क्षेत्रों से रोजगार की तलाश में पलायन कर शहर आए हैं।
इसके अलावा नालों आदि के किनारे रहने वाले बांग्लादेशी और अन्य प्रदेशों के नागरिकों को भी इसका लाभ मिलेगा। क्योंकि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए जो भी योजना लागू की जाती हैं।
इस तरह की जनसंख्या उसे नुकसान पहुंचाती है। अब शहरी क्षेत्र के निचले तबके के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रखा जाएगा। मुख्य रूप से मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर को कम करना और जनसंख्या स्थरीकरण इस मिशन के उद्देश्य हैं। दोनों मिशन इसी पर केंद्रित हैं।