फर्रुखाबाद: दीपावली पर घरों की रंगाई-पुताई कराना भी महंगा सौदा हो गया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल पेंट आदि के दाम बढ़ने से दुकानों पर रौनक कम है।
रोशनी का त्योहार दीपावली नजदीक आ गयी है, लेकिन बाजार में चहल-पहल नहीं है। पेंट विक्रेताओं की दुकानों पर ग्राहकों की संख्या कम नजर आ रही है। प्रमुख कारण पुताई सामग्री के रेट बढ़ना है। गत वर्ष पांच रुपये किलो में मिलने वाला चूना इस वर्ष आठ रुपये किलो बिक रहा है। आठ सौ चालीस रुपये में मिलने वाली बीस किलो डिस्टेंपर की बाल्टी एक हजार रुपये में मिल रही है।
एक सौ चालीस रुपये से लेकर डेढ़ सौ रुपये लीटर बिकने वाली वार्निश के भाव इस वर्ष 160 से 190 तक हैं। नब्बे रुपये लीटर वाला प्लास्टिक पेंट 110 रुपये में मिल रहा है। 90 रुपये लीटर वाले प्राइमर का भाव 100 रुपये लीटर हो गया है। सफेद सीमेंट की बोरी 580 से बढ़कर 625 रुपये की हो गयी है। तारपीन का तेल चालीस रुपये लीटर से 50 रुपये हो गया है। पुताई करने वाला ब्रुश भी एक सौ चालीस रुपये से बढ़कर एक सौ साठ रुपये हो गया है। पुताई करने वालों ने भी अपनी नफरी (मजदूरी) बढ़ा ली है। 160 रुपये प्रतिदिन लेने वाले पेंटर इस वर्ष 200 रुपये ले रहे हैं। पेंटर के साथ काम करने वाले मजदूर सवा सौ की जगह डेढ़ सौ रुपये ले रहे हैं।
पेंट विक्रेता कैलाश चंद्र शुक्ल ने बताया कि महंगाई की वजह से बिक्री कम है। लोग माल खरीद रहे हैं, लेकिन कम। बाढ़ की वजह से असर पड़ा है। राहुल रस्तोगी भी महंगाई के कारण बिक्री पर असर मानते हैं। उनका कहना है कि बाढ़ ने व्यवसाय पर असर डाला है।