यूपी सरकार को झटका, पर्याप्त प्रतिनिधित्व पा चुकी जातियों के आरक्षण पर रोक

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High court lucknowइलाहाबाद: आरक्षण पर हलफनामा दाखिल करने से कतरा रही राज्य सरकार को न्यायालय से तगड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण अंतरिम फैसले में कहा है कि राज्य सरकार आरक्षित वर्ग की उन जातियों को आरक्षण जारी न रखे जिनका सिविल सेवा में पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो गया है। इसके साथ ही अदालत ने प्रदेश में चल रही 41,610 पुलिसकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया में पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त कर चुकी जातियों के आरक्षण पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि अनुच्छेद 16 [4] के अंतर्गत चयन व नियुक्ति में आरक्षण के संबंध में सरकार कोई स्पष्टीकरण या परिवर्तन करना चाहती है तो वह अदालत के समक्ष अर्जी दे सकती है। राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने सुमित कुमार शुक्ला और अन्य की ओर से दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। इससे पहले 9 सितंबर को कोर्ट ने सरकार से आरक्षण देने का क्राइटेरिया स्पष्ट करने तथा सेवाओं में विभिन्न वर्गो के प्रतिनिधित्व का आंकड़ा पेश करने का भी निर्देश दिया था। महाधिवक्ता एसपी गुप्ता ने याचिका की पोषणीयता पर सवाल उठाए और सरकार की ओर से और समय की मांग की लेकिन अदालत इससे संतुष्ट न हुई। याची के अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन और अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने कहा कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व की व्यवस्था का पता लगाए बिना ही सरकार आरक्षण जारी रखे है। कुछ जातियों का प्रतिनिधित्व कोटे से अधिक हो गया है जो कानून की मंशा के विपरीत है।

अदालत ने पूछे थे सवाल

-सरकार पर्याप्त प्रतिनिधित्व का क्या अर्थ लगाती है?

– क्या आरक्षित वर्ग की कुछ जातियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल चुका है?

-पिछले दस सालों में इस बाबत कोई जांच कमेटी या आयोग गठित हुआ ?

क्या है अनुच्छेद 16 [4] में

‘राज्य पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग के पक्ष में, जिसका प्रतिनिधित्व राज्य की राय में अधीन सेवाओं में पर्याप्त नहीं है, नियुक्तियों या पदों में आरक्षण के लिए उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।’

क्या है पर्याप्त प्रतिनिधित्व –

अदालत ने पर्याप्त प्रतिनिधित्व की विभाजन रेखा को स्पष्ट करते हुए कहा है कि जिन जातियों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में नौकरियों में 50 फीसदी आरक्षण का लाभ मिल गया है, उसे पर्याप्त प्रतिनिधित्व माना जाएगा। वर्तमान आरक्षण नियमावली में 50 फीसदी के निर्धारित कोटे के अंतर्गत जातियों की आबादी के हिसाब से उनका कोटा निर्धारित किया गया है।

इस आदेश का अर्थ-

-कई बड़ी जातियां आरक्षण के लाभ से वंचित हो जाएंगी।

– कई अन्य वंचित जातियों के लिए अवसर बढ़ेंगे।

– सामान्य वर्ग पर इस आदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।