FARRUKHABAD : टाटा डोकोमो के सिक्योरिटी गार्ड की हत्या के पीछे मुख्य बजह टावर पर नौकरी पाने की हसरत से बने विवाद को लगभग मान लिया गया है। पुलिस ने इस सम्बंध में मुख्य आरोपी को हिरासत में भी ले लिया है।
क्राइमब्रांच के सूत्रों की मानें तो कछियाना निवासी शैलेन्द्र ने अपने एक गिहार साथी के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया। घटना वाले दिन शाम तकरीबन साढ़े आठ बजे शैलेन्द्र व उसका गिहार मित्र टावर पर इकरार के पास पहुंचे। उनके पास दारू भी थी। शैलेन्द्र ने दारू के पैग बनाने के लिए नन्हें उर्फ जबर सिंह से कहा और दारू पी। इसी दौरान शैलेन्द्र के एक गिहार दोस्त ने तमंचा जबर सिंह की छाती पर अड़ा दिया। लेकिन शैलेन्द्र ने उसे रोका। गोली मत चलाना! नहीं तो लोग जान जायेंगे।
जबर को वहां से भगा दिया। इसी दौरान शैलेन्द्र ने इकरार का मुहं अंगोछे से बंद कर लिया और शैलेन्द्र के गिहार दोस्त ने ईंट से सिर पर कई प्रहार कर दिये। जिससे इकरार मौके पर ही बेहोश होकर गिर गया। मौका देखकर दोनो आरोपियों ने डीजल डालकर उसे जला दिया। घटना के समय दिये गये जबरसिंह के वयान ने पुलिस को उलझाया जरूर था लेकिन पुलिस गिरफ्त में बैठे जबर सिंह ने बाद में घटना को शीशे की तरह साफ कर दिया। जबरसिंह का कहना है कि घटना को उसने अपनी आंखों से देखा है। शैलेन्द्र के भगाने के बाद वह 20 फुट दूरी पर स्थित पीपल के पेड़ की ओट में यह सब देख रहा था। जिसके बाद दहशत की बजह से जबर सिंह अपनी पत्नी को लेकर मोहल्ला कछियाना पहुंचा, जहां उसने अपने भाई अमर सिंह के घर 6 साल की पुत्री प्रांशी को छोड़ दिया और खुद पति पत्नी मोहल्ले के ही शिव मंदिर पर आकर लेट गये।
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देर रात शैलेन्द्र अपने साथियों के साथ मंदिर आ धमका और जबर पर तमंचा अड़ाते हुए कहा कि अगर मुहं खोला तो जान से मार देंगे। घटना के बाद प्रातः चप्पे चप्पे पर शैलेन्द्र के आदमी तैनात थे। फिलहाल पुलिस ने मुख्य आरोपी को हिरासत में ले रखा है। पुलिस ने अभी तक घटना के सम्बंध में कोई पुष्टि नहीं की है।
टावर की स्थापना के समय शैलेन्द्र व जमीन के मालिक तकी मोहम्मद में विवाद भी हुआ था। उस समय भी शैलेन्द्र ने तकीमोहम्मद को धमकी दी थी कि अगर कोई दूसरा टावर पर नौकरी करेगा तो अच्छा नहीं होगा।
घटना के बाद पुलिस के सामने भी मौजूद रहा मुख्य आरोपी
पुलिस कस्टडी में बैठे जबर सिंह उर्फ नन्हें ने एक और नया खुलासा कर दिया है। जबर ने बताया कि घटना के बाद प्रातः जब पुलिस अधीक्षक व अन्य पुलिस अधिकारी घटना का निरीक्षण कर रहे थे, उस समय शैलेन्द्र मौके पर ही मौजूद था और पूरे मामले को अपनी आंखों से देख रहा था।