कांग्रेस के दिग्गज सांसद रशीद मसूद को 4 साल की जेल

Uncategorized

rasheed masoodनई दिल्ली। मेडिकल कॉलेज में हुए फर्जीवाड़े के मामले में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रशीद मसूद को दोषी करार देते हुए चार साल की सजा सुनाई है। 1989-90 के बीच ये फर्जीवाड़ा हुआ था और उस वक्त रशीद मसूद स्वास्थ्य राज्य मंत्री थे। मसूद पहले ऐसे सांसद बन गए हैं जो दागी नेताओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का शिकार बनेंगे। इस फैसले के बाद उनकी संसद सदस्यता जानी तय दिख रही है। आज ही मसूद को तिहाड़ जेल जाना होगा।

कोर्ट में मसूद की सजा पर बहस 11 बजे ही पूरी हो गई थी। कोर्ट ने ढाई बजे सजा सुनाने का ऐलान किया था। बचाव पक्ष के वकील ने मसूद के स्वास्थ्य और उम्र को देखते हुए रियायत बरतने की अपील की, जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया।
http://jnilive.mobi/wp-content/uploads/2013/10/rasheed-masood.jpg
वहीं, सीबीआई का कहना था कि रशीद मसूद को सख्त से सख्त सज़ा दी जाए। सीबीआई ने दलील दी कि जहां देश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री, मुख्यमंत्री और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने फर्जी दाखिले का ऐसा ताना बाना बुना हो उससे जनता का भरोसा तार-तार हो जाता है। सीबीआई ने कहा कि त्रिपुरा के लाखों छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है।

कुल 16 आरोपी

रशीद मसूद सहित इस केस में कुल 16 आरोपी शामिल थे। इनमें से दो की मौत हो चुकी है। करीब 22 साल बाद तीस हजारी कोर्ट मेडिकल कॉलेज में हुए फर्जीवाड़े के इस मामले में अपना फैसला सुना रही है। दोषी करार दिए जा चुके मसूद को सात साल तक की सजा हो सकती है। दागी सांसदों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रशीद पहले ऐसे सांसद होंगे जिनको सजा सुनाई जाएगी। इसके बाद उनकी राज्यसभा सदस्यता खतरे में होगी।

आरोपियों में त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री एस आर मजूमदार, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कांशीराम रेयान, आईएएस एके रे और आईपीएस गुरुदयाल सिंह भी शामिल थे। इनमें से त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री की मौत हो चुकी है।

क्या है मामला

ये मामला मेडिकल कॉलेज में फर्जीवाड़े से जुड़ा है। जब कांग्रेस नेता रशीद मसूद भारत सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री थे। 1989 से 1990 के बीच हुए इस फर्जीवाड़े में रशीद मसूद को 19 सितंबर को अदालत ने भ्रष्टाचार की अलग-अलग धाराओं में दोषी ठहराया था। मसूद को देश के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में त्रिपुरा राज्य के कोटे से सात छात्रों का फर्जी तरीके से एडमिशन कराने का दोषी पाया गया था। जिन छात्रों को एडमिशन दिया गया था उनमें मसूद का भतीजा भी शामिल था।