काजू, बादाम, किशमिश, केला, सेब, बिस्किट और कुरकुरे के साथ सचिव का तहसील निरीक्षण

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फर्रुखाबाद: तो लोहिया अस्पताल से बाहर निकलने के बाद जिले के विकास कार्यो की समीक्षा पर आये साहब का लम्बा काफिला तहसील सदर के कार्यालय निरीक्षण की ओर बढ़ा| प्रदेश भर के मंत्रियो की आवभगत के तजुर्बे वाले तहसील कर्मियों ने बेहतरीन इंतजाम किया था| एक फाइल के साथ पूरी मेज नाश्ते के साथ भर दी गयी थी| ऑफिस की कुर्सिओ पर साथ आये सभी अफसर बैठ गए| फिर भी फरियादी अन्दर घुस तहसील के भ्रष्टाचार की लिखित शिकायत दे ही आये| कुछ डीएम साहब ने पढ़ी तो एक सचिव साहब ने भी पढ़ ली| निस्तारण का आश्वासन देकर साहब दौरा पूरा कर विकास भवन में अधिकारिओ से वार्ता पत्रकारों को पन्ने भरने का मसाला देने के लिए आगे बढ़ गए| हल किसी शिकायत का भी नहीं निकला|
Sanjeev Kumar IAS on Inspection at Farrukhabad
पीडब्लूडी के सचिव संजीव कुमार फर्रुखाबाद में प्रशासनिक दौरे पर है| साहब क्या क्या खायेंगे? बस इसी चिंता में राजस्व और पीडब्लूडी जुटा रहा| साहब को लखनऊ में दौरे के बाद शासन को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में जमा करने के लिए क्या क्या निरीक्षण कराया जाए इस बात की प्लानिंग पहले से जिले के साहब ने तैयार कर ली थी| शुक्रवार को सचिव साहब ने डीएम के साथ अफसरों की मीटिंग में जिले में चल रहे सिविल काम पूछे तो एक साहब ने कई गिना दिए| सचिव साहब ने कहा चलो दिखाओ तो बड़े साहब ने मामला सम्भाला की कल चल रहा था आज पता नहीं चल रहा कि नहीं| खैर मीटिंग आगे बढ़ी| शासन को क्या दिखाना है इसमें हेर फेर न हो जाए इसके लिए खूब पसीना बहाया गया| तो सचिव साहब तहसील में एक दो रजिस्टर देखे, तजुर्बेदार तहसीलदार चौधरी साहब ने बेहतरीन व्यवस्था कर शासन को संतुष्ट किया| और साहब आगे बढ़ गए| चलते चलते सिर्फ दो तरीके के काजू में से एक प्लेट में से कुछ कुर्कुराए|
SANJEEV KUMAR on Inspection at Farrukhabad
जनता में शासन का सन्देश पहुचे न पहुचे| परेशानी जनता को क्या है सरकार तक पहुचे न पहुचे| सचिव साहब संतुष्ट हो जाए| अखबारों में अच्छा छप जाए| बस कुर्सी बनी रहे सलामत| ये वही तहसीलदार है जो एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के आगमन पर भोजन को उपलब्ध कराने के लिए कोई बजट की बात न होने का हवाला दे रहे थे और नियम बता रहे थे| एक दिन बाद ही प्रदेश सरकार के अफसरों के लिए काजू बादाम सजा रहे थे| क्या दोनों के लिए अलग अलग नियम कानून है? जाहिर है सचिव संजीव कुमार साहब भी किसी गरीब से वसूली गयी रिश्वत के हिस्से से खरीदी गयी काजू बादाम खाकर जिले को वैरी गुड नहीं देंगे तो क्या ……….| वैसे जिस तरह से जिलो के दौरों में मंत्री अपना डीए (खाना खर्चा) नहीं छोड़ते क्या अफसर छोड़ देता है? सवाल ये भी लाख टके का है|
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