FARRUKHABAD : महेन्द्र की मौत के पीछे क्या बजह थी, यह पुलिस जान नहीं पायी। सवालों और उनके जबाबों को तलाशने में जुटी खाकी पर अब प्रश्नचिन्हं लगने का दौर शुरू हो गया है। 6 दिन तक पुलिस हिरासत में रहे भोपतपट्टी निवासी कल्लू कटियार को पुलिस ने आखिर छोड़ दिया।
16 सितम्बर की रात साढ़े 9 बजे भोपतपट्टी निवासी महेन्द्र राठौर पुत्र रामवीर राठौर का शव गांव के ही पीछे रेलवे क्रासिंग पर मिला था। तबसे लेकर आज तक पुलिस मौत के पीछे आखिर क्या राज था इसको साफ नहीं कर पा रही है। घटना के दिन से ही पुलिस ने महेन्द्र के दोस्त कल्लू कटियार को हिरासत में ले रखा था। जिसे 6 दिन की पूछताछ के बाद आखिर पुलिस ने छोड़ दिया। बड़ा सवाल यह है कि आखिर पुलिस महेन्द्र के भाई राकेश द्वारा दी गयी तहरीर पर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कर रही और बिना मुकदमा लिखे ही तफ्तीश करने का दावा कर रही है। एक तरफ कल्लू कटियार को छोड़ देना तो वहीं दूसरी तरफ एफआईआर का न लिखना पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल जरूर खड़े कर रहा है। परिजन एफआईआर दर्ज कराने के लिए दर दर भटक रहे हैं।
इस सम्बंध में शहर कोतवाली के एस एस आई हरिश्चन्द्र ने बताया कि घटना के सम्बंध में कई लोगों से वयान लिये गये हैं। कुछ के वयान लेना अभी बाकी हैं। शीघ्र किसी ठोस निर्णय पर पहुंचा जायेगा। कल्लू को पुनः पूछताछ के लिए बुलाया जायेगा।
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महेन्द्र की मौत को हत्या क्यों नहीं मान रही पुलिस
खाकी अगर चाहे तो क्या नहीं कर सकती, फिर चाहे कोई कितनी भी जुगत कर ले, महेन्द्र की मौत अनसुलझी पहली जरूर है लेकिन ऐसा भी नहीं कि पुलिस उसे सुलझा न पाये। महेन्द्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसके फेफड़े फटे हुए थे। सिर में गंभीर चोटें थीं। जांघ और हाथ की हड्डी भी टूटी पायी गयी। साथ ही साथ उसके शरीर पर कई दर्जन चोटें भी थीं। सिर में चोट इतनी गंभीर थी, जिसकी बजह से महेन्द्र की मौत हुई।
पोस्टमार्टम के विशेष जानकार चिकित्सकों की मानें तो 30 मिनट के अंदर अगर किसी को मारपीट कर मौत के घाट उतार देने के बाद उसे चलती ट्रेन के सामने फेंक दिया जाये तो मौत के समय में कोई अंतर नहीं आता और शरीर पर आयीं चोटें भी दुर्घटना में आयीं चोटों सी ही प्रतीत होती हैं। लेकिन पुलिस अपने एफआईआर रजिस्टर में एक और मामले को दर्ज करने से कतरा रही है। ऊपर ही ऊपर जांच के नाम पर खानापूरी की जा रही है।