लखनऊ : नगर निगम के पूर्व क्षेत्रीय स्वास्थ्य अधिकारी व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के अध्यक्ष डॉ.ओपी तिवारी अगले सात वर्षों तक अपनी मेडिकल की डिग्री का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। यानी चिकित्सा से जुड़ा हर कार्य उनके लिए प्रतिबंधित होगा। यूपी मेडिकल काउंसिल के गवर्निंग बॉडी ने बुधवार को यह फैसला किया। आरोप है कि सेवानिवृत्त डॉ.ओपी तिवारी ने सेवानिवृत्ति के बाद एक निजी मेडिकल कॉलेज में एमडी की फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी प्राप्त की। उन्होंने मेडिकल कॉलेज में बाकायदा झूठा शपथ पत्र लगाया।
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बताते हैं कि पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तिवारी ने पीडियाट्रिक्स में डीसीएच की डिग्री प्राप्त की थी, लेकिन मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए स्वयं प्रमाणित फार्म में उन्होंने एमडी भरा। इस आधार पर उन्हें मेडिकल काउंसिल से प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया पर जब दस्तावेजों की जांच हुई तो धांधली सामने आ गई। प्रमाण पत्र जारी करने के तीन-चार घंटे के भीतर ही उन्हें वापस बुलाकर पूछताछ की गई तो डॉ. तिवारी ने सफाई देते हुए कहा कि गलती से उन्होंने एमडी केजीएमयू से लिख दिया था, लेकिन यह भूलवश नहीं हुआ था बल्कि चतुराई पूर्वक की गई धांधली थी। इसका पटाक्षेप तब हुआ जब राजधानी स्थित निजी मेडिकल कॉलेज ने जहां वह निदेशक थे, दस्तावेज खंगाले। पता चला कि डॉ. तिवारी ने मेडिकल काउंसिल का प्रमाण पत्र वापस करने से पहले स्कैन करा लिया था। यही नहीं निजी मेडिकल कॉलेज में पीएमएस से सेवानिवृत्ति के बाद नौकरी भी हासिल की थी। बताते हैं कि निजी मेडिकल कॉलेज ने भी इस घोटाले का पता लगने पर बीते वर्ष एफआइआर कराई थी।
बहरहाल यूपी मेडिकल काउंसिल की इथीकल कमेटी ने इस धांधली की जांच की तो आरोप सही पाए गए। कड़ा फैसला लेते हुए बुधवार को काउंसिल ने 63 वर्षीय डॉ. तिवारी पर अगले सात साल के लिए मेडिकल डिग्री का किसी भी कार्य के लिए प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया है। यूपी मेडिकल काउंसिल के डॉ. राजेश जैन ने बताया कि सीएमओ व जिलाधिकारियों को काउंसिल के फैसले से अवगत करा दिया जाएगा।
कुछ अन्य फैसले
-कानपुर के डॉ.एके सिंह पर एक वर्ष का प्रतिबंध
कानपुर के डॉ. सिंह पर आरोप है कि उन्होंने लखनऊ की अर्चना मिश्रा के इलाज में उस दवा का इस्तेमाल किया जिससे उन्हें रिएक्शन था। लगातार एमॉक्सीसिलिन दवा दी गई जबकि उनकी रिपोर्ट में साफ तौर पर चेतावनी लिखी थी कि वह एलर्जिक हैं। यही नहीं उनके जूनियर ने भी कहा लेकिन डॉ. सिंह ने ध्यान नहीं दिया। नतीजा अर्चना को रिएक्शन हो गया और उनकी मृत्यु हो गई।
-मुरादाबाद के डॉ. विनीत गर्ग पर एक साल का प्रतिबंध
मुरादाबाद के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विनीत गर्ग पर आरोप है कि वह पांच साल तक दिलारा बेगम का इलाज करते रहे लेकिन उन्होंने उनकी कोई जांच नहीं कराई। अंत में जब मरीज की किडनी फेल हुई तो जबर्दस्ती नर्सिंग होम से दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया।
-जौनपुर के डॉ.नीलेश श्रीवास्तव पर 3 माह का प्रतिबंध
जौनपुर की वंदना मिश्रा को दो माह का गर्भ था। गर्भपात कराने के लिए वह डॉ. श्रीवास्तव केकैं र्सिंग होम गईं। दूसरे दिन उनकी हालत बिगड़ने लगी। डॉ.पंखुरी श्रीवास्तव जिन्होंने गर्भपात किया था उन्हें बुलाया गया पर वह नहीं आईं। हालत गंभीर होने पर डॉ. नीलेश श्रीवास्तव ने कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए तो मरणासन्न स्थिति में ही वंदना को अन्य अस्पताल में शिफ्ट कर दिया जहां ले जाने पर बताया गया कि उसकी मौत हो चुकी है। काउंसिल ने इस मामले में डॉ. पंखुरी श्रीवास्तव को भविष्य के लिए सख्त चेतावनी जारी की है।