FARRUKHABAD : कहा जाता है कि मां के दिल जैसा दुनिया में कोई दिल नहीं है, मां अपनी संतान के लिए संसार का सब कुछ लुटा सकती है और अकेले भी संसार से भिड़ने की क्षमता भी मां के अंदर ईश्वर ने दी है। लेकिन कहते हैं कि कलयुग का असर पूरे शबाब पर है। जिसका जीता जागता उदाहरण शनिवार की शाम को देखने को मिला। एक विवाहिता पति के साथ हो रही पंचायत में पहुंची और जब उसकी दाल नहीं गली तो उसने दुधमुही विकलांग बच्ची को वहीं पटक कर अपने पिता के साथ चली गयी। बच्ची फिलहाल अपने पिता व अन्य परिजनों के साथ है।
बीते 16 फरवरी 2010 को दिल्ली के एच आर 41 बी गली नम्बर 2 पुल प्रहलादपुर निवासी शांती निरूपण द्विवेदी ने अपनी पुत्री गौरी का विवाह हरदोई जनपद के हरपालपुर के ग्राम शिवपुरी निवासी रामानंद दीक्षित के पुत्र बंटी उर्फ अमित दीक्षित के साथ किया था। विवाह के बाद परिस्थितियां बिगड़ीं तो अमित की पत्नी गौरी ने एक नया प्रस्ताव सामने रख दिया और कहा कि उसके माता पिता के साथ नहीं रहना चाहते। इसलिए अमित दीक्षित ने पत्नी की बात को स्वीकारते हुए अपने मां बाप को छोड़ दिया और अलग एक कमरा किराये पर लेकर रहने लगा। लेकिन मां बाप से अमित दीक्षित फोन पर बात किया करते थे। अब पत्नी गौरी ने इस बात पर भी पाबंदी लगाने का प्रयास किया कि फोन पर भी अब बात नहीं करोगे। जिसको लेकर जब पति ने मना किया तो मामला फिर बिगड़ गया।
कोई चारा न देख अमित दीक्षित अपनी पत्नी गौरी को मायके में छोड़ कर दिल्ली में ही दूसरी जगह रहने लगे। इस बात से नाराज अमित दीक्षित के ससुरालियों ने दहेज उत्पीड़न का मुकदमा कर दिया था। जिसमें गौरी के पति अमित दीक्षित को एक माह का कारावास भी भुगतना पड़ा। अदालत में मुकदमा चालू हो गया और अब ससुरालियों का उत्पीड़न और धमकियां अमित दीक्षित व उनके परिवारियों को दी जाने लगीं। थक हारकर वह फतेहगढ़ क्षेत्र के मोहल्ला नेकपुर में किराये पर रहने लगी। इसके बाद बाद भी अमित दीक्षित की तरफ से कई बार समझौते का प्रस्ताव भी भेजा गया।
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लेकिन गौरी के परिजन समझौता करने पर राजी नहीं थे। बीते शनिवार की शाम कुछ बजूददार लोगों ने फर्रुखाबाद क्षेत्र के घटियाघाट स्थित परमानंद स्वामी के आश्रम में समझौते के लिए दोनो पक्षों को बुलवाया था। गौरी अपनी एक वर्षीय विकलांग पुत्री मानषी व पिता शांतीनिरूपण द्विवेदी के साथ पहुंचीं। इधर अमित दीक्षित भी समझौते की आश में आश्रम में पहुंच गये। बातचीत का दौर शुरू हुआ तो समझौते की स्थिति न बनकर मामला बिगड़ गया। गुस्सायी विवाहिता गौरी अपनी विकलांग पुत्री को बगैर किसी को सुपर्द किये आश्रम में ही छोड़कर पिता के साथ वापस दिल्ली चली गयी। मामले की जानकारी जब उसके पिता अमित दीक्षित को हुई तो उन लोगों ने विकलांग पुत्री को उठा लिया और अपने घर ले आये। फिलहाल बच्ची अपने पिता के साथ सुरक्षित है।
मासूम मानषी को यह भी नहीं मालूम कि आखिर उसके साथ हुआ क्या और उसकी मां उसे क्यों छोड़कर चली गयी। एक वर्षीय मानसी न ही पैरों से खड़ी हो पाती है और न ही पूरी तरह से उसका मष्तिस्क विकसित हुआ है।