फर्रुखाबाद: मंच पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव अधिकारिओ और कर्मचारियो को नैतिकता का पाठ पढ़ा रहे थे| और उसे ध्यान से सुनने और अपना चेहरा दिखाने पहुचे थे अपने अपने स्कूल में बच्चो को पढ़ाने की जगह प्राथमिक स्कूल के कई शिक्षक| ये शिक्षक बच्चो को शिक्षा देने की जगह कामचोरी करने में माहिर माने जाते है| जिस पार्टी की सरकार होती है उसी के मंच पर दिखाई पड़ते है| अब देखने वाली बात ये होगी कि वर्तमान में सपा प्रत्याशी इस मामले में कितने संजीदा है जो ग्रामीण अंचलो के वोटरों के बच्चो को पढ़ाने के लिए इस पर शिकंजा कसते है या फिर उनके साथ ईमानदारी न बरतते हुए चंदा देने वालो, मंच पर नारे लगाने वालों और इनके लिए सामाजिक कार्यक्रमों के नाम पर भीड़ जुटाने जैसी सौगाते पेश करने वालो की सिफारिश करते है?
सोमवार को उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह की एक सभा मेजर एस डी सिंह कॉलेज बघार के सामने वाली फील्ड में हुई| सभा का मकसद डॉ जीतेन्द्र यादव को सपा में शामिल करना और रामेश्वर यादव के लिए चुनावी रणभेरी फूकना था| हालाँकि अभी लोकसभा चुनावो की घोषणा और अधिसूचना नहीं जारी हुई है मगर मंच चुनावी था| मंत्री, प्रत्याशी सहित सभी नेताओ ने सपा को भरपूर वोट देने की अपील की| सभा स्थल पर तीन मंच बनाये गए थे| एक बड़े नेताओ के लिए| दूसरा छोटे पदाधिकारियो के लिए और तीसरा भीड़ को रोके रखने के लिए गीत संगीत मनोरंजन का| इसी तीसरे मंच पर 11.30 बजे दोपहर को शमसाबाद ब्लाक के अपर प्राइमरी स्कूल भक्सुरी में तैनात शाकिर अली मंसूरी का चेहरा नजर आ रहा था| शाकिर अली सामाजिक संगठन चलाते है| सियासत का शौक रखते है मगर बच्चो की शिक्षा को ताक पर रख कर| अब सपा नेताओ के लिए सामाजिक कार्यक्रमों के बहाने सियासी मंच सजाने में माहिर शाकिर अली मंसूरी बच्चो को भला क्यूँ पढ़ाने लगे ये एक बड़ा सवाल है| शाकिर अली मंसूरी आल इंडिया जमीयत उल मंसूर सामाजिक संगठन के प्रदेश महासचिव की हैसियत से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन शिवपाल सिंह यादव को सौपने आये थे जिसमे मंसूरी समाज की समस्यायों को हल करने की मांग की गयी थी| मगर ये ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से स्कूल समय के बाद भी भेज जा सकता था| इस शिक्षक के बारे में आम चर्चा है कि वर्षो से नेतागिरी के चक्कर में बच्चो की शिक्षा से दूर रहने की आदत पड़ गयी है|
सवाल उन नेताओ से भी है जो कल मंच पर जनता के विकास के लिए बड़ी बड़ी बाते कर रहे थे| क्या ग्रामीण अंचलो के कमजोर वर्ग के बच्चो की शिक्षा विकास के दायरे में नहीं आती? क्या विकास सिर्फ सरकारी (जनता के टैक्स का धन) धन को खर्च करना भर है| भले ही उस खर्च का सदुपयोग हो या न नहीं? एक शिक्षक को जब स्कूल में बच्चो को पढ़ाने के लिए मौजूद होना चाहिए था सियासत कर रहा था| उसे बचाने के की जमीन भी सपा के खेमे से ही आएगी| देखना ये है कि सत्ताधारियो के लिए भीड़ जुटाने और उनके सियासी स्वागत समारोहों में सिरकत करने वाले ऐसे शिक्षको पर जिला प्रशासन से लेकर वोटो के चाहने वाले क्या कदम उठाते है? क्या ये दोनों जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते है या फिर चमचो के प्रति|
मेडिकल की छुट्टी लगाकर नेतागिरी कर रहा है?
इस शिक्षक के बारे में गहन जानकारी करने पर पता चला कि इसकी तैनाती अपर प्राइमरी भक्सुरी शमसाबाद में है| मगर इन्होने जे एन आई को बताया कि ये अपर प्राइमरी अरिआरा जो कि में रोड पर शहर के निकट है वहां तैनात है| इसकी तैनाती वाले भक्सुरी के विद्यालय में एक अन्य अध्यापक ने बताया कि शाकिर अली पिछले महीने की 12 /13 अगस्त 2013 से मेडिकल पर चल रहे है मंगलवार को भी स्कूल नहीं आये है| जबकि पिछले एक महीने से शाकिर अली सक्रिय रूप से अपने संगठन के लिए काम कर रहे है| रोज इफ्तार से लेकर ईद मिलन समारोह के भव्य कार्यक्रम आयोजित करा चुके है| अब मामला और चौकाने वाला है| भक्सुरी एक दूर ग्रामीण अंचल का गाँव है जहाँ के बच्चो को पढ़ाने के लिए इन्हें भेजा गया है| मगर वहां ये जाते नहीं है| अपर प्राइमरी अरिआरा में खुद की तैनाती बताते है| कहीं ये बैकडोर से अटैचमेंट का कोई खेल तो नहीं| फिलहाल कुछ विभागीय अधिकारी बचाने में तो कुछ असल में हकीकत क्या है खोजने में लग गए है|
क्या है सेवा नियमावली-
कोई भी परिषदीय शिक्षक किसी भी राजनैतिक कार्यक्रमों में प्रतिभाग नहीं कर सकता ऐसा बेसिक शिक्षा परिषद् की अध्यापक सेवा नियमवाली में स्पष्ट अंकित है| ऐसे ही एक शिक्षक कृष्ण कुमार कमालगंज में अपनी पत्नी की नेतागिरी चमकाने में निलम्बित चल रहे है और नौकरी से बर्खास्तगी की तलवार लटक चुकी है| इसी कार्यक्रम में शाकिर अली के अलावा प्राथमिक शिक्षक संघ के एक विवादित नेता और कायमगंज के एक अन्य नेतागिरी करने वाले शिक्षक भी सभा में पीछे मौजूद होने की खबर भी मिली है|