और जब सपाइओ ने खूब बनाया मीडिया को

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फर्रुखाबाद: दूसरो की खबर लेने वाले मीडिया कर्मी खुद भी कभी कभी खबर बन जाते है| डॉ जितेन्द्र यादव के सपा में शामिल होने के कार्यक्रम में मीडिया कर्मियों को आज समाजवादी पार्टी में शामिल हुए पुराने सपाई ने खूब बनाया| शिवपाल सिंह यादव को मीडिया कर्मियों से दूर रखने की कोई चाल थी या फिर सपाई खुद भी बन रहे थे इसे समझना थोडा मुश्किल है| मगर सबको गच्चा देकर जनता तक खबर पहुचाने वाले खबरची आज समाजवादियो के ऐसे शिकार हुए कि तीन घंटे तक खूब बन गए|

मामला डॉ जितेन्द्र यादव के सपा में शामिल होने के कार्यक्रम के अंत से शुरू हुआ और मंत्रीजी के हेलीकाप्टर से उड़ जाने तक हुआ| करीब करीब तीन घंटे तक ये वाकया हुआ| सभा समाप्ति पर मंच से 2.50 पर सभा का सञ्चालन कर रहे सुरेन्द्र सिंह गौर ने घोषणा की कि मंत्रीजी 3 बजे मेडिकल कॉलेज में पत्रकारों से वार्ता करेंगे| अंधे को क्या चाहिए- दो आंखे| मीडिया कर्मियों को खबर मिल जाए तो इससे अच्छा क्या| इधर घोषणा के बाद मीडिया कर्मी मेडिकल कॉलेज में पहुचे| उधर मंत्रीजी का काफिला जिला प्रशासन की गाडियो के साथ फतेहगढ़ डाक बंगला के लिए रावण हो गया| पत्रकार बंधू मेडिकल कॉलेज में लंच वंच करने के बाद डॉ जितेन्द्र के वातानूकूलित दफ्तर में बैठ शिवपाल सिंह यादव की लोकेशन लेने लगे| तीन से चार और पञ्च तक बज गए मगर शिवपाल सिंह की लोकेशन डाल बंगले और कोआपरेटिव बैंक से आगे नहीं बढ़ रही थी|
Media waiting for shivpal singh yadav
इसी बीच एक खबर आई की मंत्रीजी डॉ जितेन्द्र के मेडिकल कॉलेज स्थित आवास पर मीडिया को बुला रहे है| तब मीडिया कर्मी पैदल टहलते हुए डॉ जितेन्द्र के आवास पर पहुचे तो कड़ी सुरक्षा में दरवाजा बंद| अन्दर खबर भेजी गयी तो बाहर डॉ अनार सिंह निकले ये कहते हुए कि मेरे साथ चलो डॉ जितेन्द्र के दूसरे दफ्तर में शिवपाल सिंह बात करेंगे| अब समय खराब होते देख कुछ कुछ माजरा समझ में आने लगा था| मीडिया कर्मियों को पहले तो एक साथ एक जगह बैठाकर एक तरह से अघोषित पैक कर दिया गया| उसके बाद जब हलचल हुई तो दूसरी जगह ले गए|
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फिर क्या, जो होना था वही हुआ| मीडिया कर्मी तीसरी जगह जमे थे, डॉ अनार सिंह उन्हें बहला रहे थे| इसी बीच मंत्री शिवपाल का काफिला डॉ जितेन्द्र के आवास से निकला और दूसरे रास्ते से हेलीपेड की तरफ बढ़ गया| मीडिया कर्मी दौड़ भाग कर आखिर में मंत्रीजी को घेरने में कामयाब हो ही गए| अब चलते चलते क्या मिलना था| मुज्जफरनगर के सवाल पर किसी पार्टी का नाम लिए बिना कह दिया ये सम्प्रदायिक पार्टियो का काम है| एक दो सवाल और उनके जबाब टालू छाप|
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फिलहाल खूब बने मीडिया कर्मी आज| अब खबर तो है मगर अगर दूसरो के साथ घटती तब पढ़ने को मिलती| मगर यहाँ तो मामला खुद का है| वैसे भी विज्ञापनों के बोझ के तले दबे अखबारों में ऐसी खबरे पढ़ने को कहाँ मिलेंगी|