फर्रुखाबाद: शिक्षा का नया सत्र शुरू हुए दो माह बीत चुके है| जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भी नए हो गए है| कागजी घोड़े दौड़ा कर शासन को फर्जी सूचनाये भेज भेज नौकरी पक्की करने के आदि अधिकारी सोर्स सिफारिश और उपरी कमाई के माल के बटवारे से अपनी कुर्सी बचने के सिवा शायद आम जनता के लिए कुछ नहीं करते| इसीलिए जब कोई नया आता है तब ताबड़तोड़ मामले पकड़ में आने लगते है पुराने हो जाने पर ये शबाब नजर नहीं आता| शायद यही दौर चल रहा है| नवाबगंज में एक मास्टर साहब के स्कूल के रजिस्टर में बच्चे मिले| हकीकत में बच्चे गोल थे| जूनियर हाई स्कूल वीरपुर नवाबगंज के हेड मास्टर मुन्ना लाल यादव और सहायक अध्यापक राजेंद्र का वेतन रोक पुछा गया है कि बताये बच्चे कहाँ है? अगर फर्जी नामांकन है तो जल्द रद्द कर दे|
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जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी नरेन्द्र शर्मा ने शनिवार को औचक निरीक्षण में पाया कि जूनियर हाई स्कूल वीरपुर में बच्चे तो पंजीकृत है मगर मौजूद नहीं| मुफ्त बाटने वाली किताबे तो स्कूल में मिली मगर बच्चो को वितरण नहीं हुआ| मिड डे मील और शिक्षा की तो बात क्या होती जब बच्चे ही नहीं| मास्टर साहब ने जबाब दिया कि बच्चे पढ़ने नहीं आते| यानि ये बच्चे कहीं अन्य जगह पढ़ते है और मास्टर साहब की तैनाती इस स्कूल में बनी रहे इसके लिए नामांकन होना जरुरी| खैर ऐसे खेल तो पूरे जनपद में है कहीं कम तो कहीं ज्यादा| और इसी के दम जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के दो बाबुओ के घर घी के दिए जलते है| तो साहब को माजरा समझ में आया तो दोनों का वेतन तो रुका ही साथ ही जबाब माँगा गया है| अब देखना यह है कि जबाब मिलने के बाद साहब कितने संतुष्ट होते है| क्योंकि गलतियाँ तो साहब ने पकड़ ही ली है अग्रिम कार्यवाही के लिए संतुष्ट होना बाकी रह गया है| चौकिये नहीं यही परम्परा है|