अल्पसंख्यकों को केवल योजनाओं में ही 20 फीसदी कोटा देने की बात नहीं हैं। इस वर्ग के बच्चों की स्कूली शिक्षा पर भी विशेष जोर दिया जाएगा।
इसके लिए अल्पसंख्यक बस्तियों में एक प्राइमरी और एक उच्च प्राइमरी स्कूल खोलने की तैयारी है। इसके लिए निदेशालय ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों से ऐसी बस्तियों की सूची मांगी है। स्कूल खोलने के लिए यह धनराशि मल्टी सेक्टोरल डिस्ट्रिक्ट डवलपमेंट प्रोग्राम (एमएसडीपी) के तहत उपलब्ध कराए जाने की तैयारी है।
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शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। इसके तहत 300 की आबादी पर प्राइमरी और 800 की आबादी पर उच्च प्राइमरी स्कूल खोलने की व्यवस्था दी गई है। सर्व शिक्षा अभियान ने इसके आधार पर स्कूल खोले हैं। प्रदेश में मौजूदा समय 1,54,272 प्राइमरी स्कूल और 76,782 उच्च प्राइमरी स्कूल हैं।
सरकार चाहती है कि अल्पसंख्यक बस्तियों में भी अनिवार्य रूप से स्कूल खोले जाएं, ताकि इन बस्तियों के बच्चों को दूर न जाने पड़े। इसके आधार पर बेसिक शिक्षा निदेशालय ने बीएसए से जिलेवार प्रस्ताव मांगा है।
इन स्कूलों में बच्चों को प्रवेश देने के लिए बस्तियों में कैंप भी लगाए जाएंगे। इसमें शिक्षकों के साथ क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को भी बुलाया जाएगा।
कैंप में क्षेत्र में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को बुलाकर उन्हें शिक्षा के महत्व की जानकारी दी जाएगी, ताकि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजे।
ये हैं अल्पसंख्यक जिले
बदायूं, बहराइच, बाराबंकी, बरेली, बिजनौर, रामपुर, बुलंदशहर, गाजियाबाद, जेपी नगर, खीरी, लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, पीलीभीत, सहारनपुर, शाहजहांपुर, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर व बलरामपुर अल्पसंख्यक बाहुल्य जिले हैं।
उर्दू पढ़ाई की होगी व्यवस्था
अल्पसंख्यक बहुल्य बस्तियों में खुलने वाले स्कूलों में अन्य पढ़ाई के साथ उर्दू की शिक्षा भी अनिवार्य रूप से दी जाएगी जिससे बच्चों को तालीमी शिक्षा मिल सके।
इन बच्चों को हिंदी मीडियम के साथ उर्दू मीडियम की की किताबें भी दी जाएंगी। इन किताबों की छपाई छात्र संख्या के आधार पर कराई जाएगी। प्रदेश में मौजूदा समय 4280 उर्दू शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।