फर्रूखाबाद: डालर के मुकावले रूपये की रिकार्ड गिरावट वैश्वीकरण का परिणाम है यह बात देश के जाने माने अर्थशास्त्री डॉ० एम एस सिद्दीकी नें गिरते रूपये की कीमत पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कही।
डॉ. सिद्दीकी नें कहा यही कारण है कि अमेरिका में डॉलर की मजवूती और फेडरल रिजर्व यानी अमेरिकी केन्द्रीय वैंक वॉण्ड खरीद बंद करने के संकेत मात्र से ही रूपया रसातल में जाने के नित्य नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। ज्ञातव्य है कि इस समय रूपया 65 के स्तर को पार कर गया है। डॉलर के मुकावले रूपये की निरन्तर गिरावट से अर्थव्यवस्था में ऐसी विषत स्थिति पैदा कर दी है जिसमें महंगाई के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में मंदी का आगमन भी हो सकता है। आयात व निर्यात के मध्य बढ़ते अंतराल में चालू खाते में घाटे को चिंताजनक स्थिति में पहुंचा दिया है। आयात व निर्यात में काफी अन्तर है आयात महंगा है और निर्यात से आय कम मिल रही है। आयात निर्यात की सामान्य दर 3.5 रहनी चाहिये जबकि वर्तमान में यह दर चालू घाटे की 4.7 तक पहुंच गयी है। डॉ० सिद्दीकी का मानना है इस स्थिति से निपटने हेतु सरकार व भारतीय रिजर्व वैंक को डॉलर की आवक को बढ़ाने के लिये देशी विदेशी निवेश को आकर्षित करने की जरूरत है जोकि निवेशकों का भरोसा जीतकर ही संभव है।
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