रेप और हत्या के दो दोषियों ने फांसी की सजा पर गुप्तांग काट डाला

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नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक में बलात्कार और हत्या के जुर्म में दो मुजरिमों को मिली मौत की सजा के अमल पर बुधवार को रोक लगा दी। इन दोनों मुजरिमों को गुरुवार को फांसी दी जानी थी।
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शिवु और जाडेस्वामी को फांसी देने पर रोक लगाते हुए कर्नाटक सरकार से जवाब तलब किया है। न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले को उन याचिकाओं के साथ संलग्न करने का आदेश दिया, जिनमें मौत की सजा के अमल पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है।
इस बीच, जेल अधिकारियों के अनुसार शिवु ने ब्लेड से अपना गुप्तांग और एक हाथ जख्मी कर लिया था। उसका जेल में इलाज हो रहा है और उसे जिला अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है। इन दोनों मुजरिमों को 2001 में एक किशोरी से बलात्कार के बाद उसकी हत्या के जुर्म में मौत की सजा सुनाई गई थी। राष्ट्रपति ने दोनों की दया याचिका खारिज कर दी थी।
इसके बाद दोनों मुजरिमों ने शीर्ष अदालत में फिर से याचिका दायर की। बेलगाम की हिंडालगा जेल में बंद इन दोनों मुजरिमों को 18-वर्षीय किशोरी से 15 अक्टूबर, 2001 को बलात्कार के बाद उसकी हत्या के आरोप में चामराजनगर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। निचली अदालत ने जुलाई, 2005 में दोनों को मौत की सजा सुनाई थी।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अक्टूबर, 2005 में इस फैसले के खिलाफ उनकी अपील खारिज करते हुए मौत की सजा की पुष्टि कर दी थी। उच्चतम न्यायालय ने भी 2007 में मौत की सजा बरकरार रखी थी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस महीने के शुरू में ही दोनों मुजरिमों की दया याचिका खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत ने 8 अगस्त को मध्य प्रदेश के सिहारे जिले में पांच पुत्रियों की हत्या करने वाले मगनलाल बरेला को फांसी देने पर रोक लगा दी थी। मगन लाल बरेला को 3 फरवरी, 2011 को मौत की सजा दी गई थी और राष्ट्रपति ने 22 जुलाई, 2013 को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी।