भद्रा के बंधन में फंसा रक्षा बंधन

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rakhiलखनऊ। भाई बहनों के प्रेम के बंधन का पर्व रक्षा बंधन इस बार दो तिथियों को पड़ रहा है। इस बार भद्रा के फेर में यह पुनीत पर्व पड़ गया है। ऐसे में लोक सशंकित हैं कि रक्षा बंधन 20 को मनाया जाएगा या फिर 21 को। क्योंकि पंडितों के अनुसार 20 अगस्त को भद्रा काल शुरू हो रहा है, जो रात नौ बजे तक रहेगा। भद्रा काल का समय शुभ नहीं माना जाता और न ही इसमें भाई की कलाई पर राखी बांधनी चाहिए।
पं. विष्णु दत्त सरस बताते हैं कि शास्त्र व व्यावहारिक दृष्टि से 21 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाना श्रेष्ठ होगा क्योंकि मंगलवार को सूर्योदय से तीन घंटे तक चौदस है। इसके बाद पूर्णमासी का प्रवेश होगा। लेकिन पूर्णमासी के साथ ही भद्रा दोष रहेगा, जो कि ‘भद्रा दोऊ न कर्तव्यं फाल्गुनी श्रावणी कथा’ सूत्र के अनुसार भद्रा मंगलवार रात के 8:30 बजे तक रहेगा। इसके बाद रक्षाबंधन मनाना उचित नहीं है, वहीं 21 को प्रात: सूर्योदय के बाद पूर्णमासी दो घंटे तक रहेगी। साढे़ सात से पूर्व सोना पूजन कर पूरे दिन त्यौहार को मनाया जा सकेगा।
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शिव कुमार शर्मा बताते हैं कि 20 अगस्त को दिन में 10 बज कर 20 मिनट पर पूर्णिमा तिथि शुरू होगी और इसी समय से भद्रा काल भी शुरू हो जाएगा। इस तरह से ये पूर्णिमा भद्रा युक्त हो जाएगी और बहनों को भाइयों को राखी बांधने के लिए भद्रा मुक्त पूर्णिमा का इंतजार करना पड़ेगा। हालांकि सूर्यास्त के बाद भद्रा काल समाप्त होगा और सूर्यास्त के बाद राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता।
मुजफ्फरनगर में रक्षाबंधन को लेकर जनमानस में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। विद्वानों के अनुसार उदया तिथि बुधवार को होने के कारण रक्षाबंधन पर्व 21 अगस्त को ही मनाना शुभ रहेगा।
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ज्योतिषविद् पंडित विष्णु शर्मा ने बताया कि 20 अगस्त में पूर्णमासी प्रात: 10.22 बजे से प्रारंभ होगी जो कि सूर्योदयव्यापिनी नहीं है। इसी दिन प्रात: 10 बजकर 22 मिनट से ही भद्रा प्रारंभ होकर रात्रि आठ बजकर 49 मिनट तक रहेगी। शास्त्रानुसार भद्रा काल में रक्षाबंधन निषिद्ध माना गया है। कुछ लोगों का यह कहना कि भद्रा पाताल लोक में है जो कि शुभ मानी जाती है। शास्त्र और विद्वान कहते हैं कि भद्रा के प्रथम चरण में शुभ कार्य नहीं किये जाते, चाहे वह कहीं भी वास करती हो। भद्रा का प्रथम चरण 20 अगस्त को प्रात: 10 बजकर 22 मिनट से प्रारंभ होकर दोपहर बाद तक रहेगा। उदया तिथि पूर्णमासी 21 अगस्त को ही है। उन्होंने बताया कि 21 अगस्त दिन बुधवार को सूर्योदय 5.51 बजे है। उस समय पूर्णिमा तिथि शुभ है। उसमें किसी प्रकार का दोष नहीं है। बुधवार को पूरा दिन दोष रहित रक्षा बंधन रहेगा। इसलिए रक्षाबंधन पर्व 21 अगस्त को ही मनाना शुभ माना गया है।
पंडित प्रेमदत्त शास्त्री ने भी बताया कि जो तिथि सूर्योदय के समय उदित होती है, वह प्रथम मानी जाती है। इसके अलावा काशी पंचांग और अन्य विद्वानों के अनुसार भी रक्षाबंधन 21 अगस्त को ही मनाया जाएगा।