FARRUKHABAD : आरटीआई एक्टिविस्ट व परिषदीय अध्यापक आनंद प्रकाश राजपूत की हत्या के मामले में 6 महीने तक चुप्पी साधे बैठी पुलिस अब हत्या के मामले में दर्ज एफआईआर में नामजद अभियुक्तों से ही उनके हत्या में सम्मलित होने के प्रमाण मांग रही है। मजे की बात है कि हत्या के समय घटना स्थल से आनंद की लाश के पास से बरामद उसके झोले में मौजूद झौआ भर फाइलों में मौजूद शिकायतों और सूचना अधिकार प्रार्थनापत्रों को पुलिस लगता है हजम कर गयी है। इतना ही नहीं आनंद के पास से मिले मोबाइल फोन की रिकार्डिंग का भी पुलिस संज्ञान लेने को राजी नहीं दिख रही है। उल्लेखनीय है कि आनंद के फोन में आटो काल रिकार्ड की सुविधा मौजूद थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार मोबाइल की चिप में कई नामजदों से मिली धमकियां भी रिकार्ड बतायी गयी हैं।
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उल्लेखनीय है कि बीते 7 फरवरी 2013 को आनंद प्रकाश राजपूत की हत्या उनके तैनाती वाले विद्यालय रामनगर कुड़रिया से कुछ ही दूरी पर गोलियों से भून कर कर दी गयी थी। हत्या के मामले में मृतक आरटीआई एक्टिविस्ट एवं शिक्षक आनंद प्रकाश राजपूत के भाई द्वारा शिक्षा विभाग के कर्मचारियों, फर्जी शिक्षकों सहित 14 लोगों पर रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी। जिसमें मात्र एक शिक्षा मित्र शशी ओझा के अलावा पुलिस द्वारा किसी पर हाथ नहीं डाला गया।
मोहम्मदाबाद कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक रामनरायन सिंह की ओर से बेसिक शिक्षा अधिकारी को एक पत्र लिखा गया है जिसमें आनंद प्रकाश सिंह की हत्या के सम्बंध में दर्ज एफआईआर के सन्दर्भ में बताया गया है कि तहरीर के अनुसार मृतक आनंद कुमार सिंह प्रधानाध्यापक, आरटीआई एक्टिविस्ट थे तथा बेसिक शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार व फर्जी प्रमाणपत्रों से नियुक्ति पाये लोगों के विरुद्व अभियान छेड़े हुए थे। इसी बजह से ऐसे कर्मचारी उनसे रंजिश मानते थे, तथा धमकी दिया करते थे जिनमें – राजनरायन शाक्य, नरेन्द्र पाल सिंह, श्रवण कुमार, राधेश्याम शाक्य, कांती राठौर, कौशलेन्द्र सिंह, शशी ओझा, विनीत अग्निहोत्री, विजया भारद्धाज, राजेन्द्र भारद्धाज, संजय पालीवाल, विजय बहादुर यादव, जयसिंह व मनोज वर्मा के नाम शामिल हैं।
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कोतवाल मोहम्मदाबाद के इस पत्र के आधार पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने कार्यालय के लिपिकों से सूचना मांगी है कि क्या उपरोक्त वर्णित लोगों के विरुद्व मास्टर आनंद प्रकाश ने कोई शिकायत की थी। यदि की थी तो उक्त जांच का परिणाम क्या रहा। क्या उपरोक्त लोगों ने मास्टर आंनद प्रकाश के सम्बंध में कोई शिकायत की थी, यदि की थी तो जांच का परिणाम?
जाहिर है बेसिक शिक्षा अधिकारी के सवालों का जबाव नहीं में ही आयेगा। क्योंकि आनंद प्रकाश राजपूत विभागीय कर्मचारी होने के कारण स्वयं अपने नाम से सूचना अधिकार प्रार्थनापत्र या शिकायतें डालने के स्थान पर अपने अन्य मित्रों और साथियों का सहारा लेते थे। यह अलग बात है कि इन सूचनाओं और शिकायतों की पैरवी और तैयारी वे स्वयं करते थे। यह बात विभाग का बच्चा-बच्चा अच्छी तरह से जानता था।