फर्रुखाबाद: मनरेगा प्रोजेक्ट के कैमरे से बीवी की फोटो खींची जा रही है। और योजना की फोटो के लिए पैसा भी आहरित हो रहा है| चौकिये नहीं, यह केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का हाल है। गजब का खेल चल रहा है। वित्तीय वर्ष 2009-10 योजना में खरीदे गए कैमरे से प्रोजेक्ट के बजाए घरों पर बीवी की फोटो खींची जा रही है। इधर, हिमाकत यह कि कैमरे से लैस ग्राम पंचायत अधिकारी भी फोटोग्राफी के नाम पर धन निकाल रहे हैं।
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ग्रामीण अंचलों से मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए बनी मनरेगा मातहतों की उदासीनता एवं लापरवाही के चलते मूल उद्देश्य से भटक चुकी है। नियमानुसार योजना में कराए गए कार्यो की फोटोग्राफी कराई जाती है। यही नहीं उसकी सीडी भी तैयार करने की व्यवस्था है। फोटोग्राफी को विधिपूर्वक ब्लाकों पर सुरक्षित रखा जाता है। गांव में फोटोग्राफी में जो भी धन खर्च होता है उसे योजना में मिले बजट से निकाल लिया जाता है। वित्तीय वर्ष 2009-10 में करीब ढाई सौ कैमरे ग्राम पंचायत अधिकारियों को मनरेगा से खरीद कर उपलब्ध कराया था। विभागीय सूत्र बताते हैं कि जिन गांवों में ग्राम पंचायत अधिकारियों को फोटोग्राफी के लिए कैमरा उपलब्ध कराया गया था वह भी योजना से धन निकाल रहे हैं। सरकारी कैमरे का भी दूर-दूर तक पता नहीं चल रहा है। खास बात तो यह है कि लाखों रुपये खर्च कर खरीदे गए कैमरा का खोज खबर लेना भी विभाग ने उचित नहीं समझा। जिन ग्राम पंचायत अधिकारियों को कैमरा दिया गया था वह भी मनमानी तरीके से योजना से फोटोग्राफी के नाम पर धन निकाल रहे हैं। एक ग्राम पंचायत अधिकारी नाम न छापने के शर्त पर बताया कि कुछ वर्ष पहले कैमरा मिला था, उसका उपयोग ही नहीं हो पाया।
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कुछ कार्यो की फोटोग्राफी कराने के बाद घर पर ही रख दिया गया था। इस संबंध में अपर जिलाधिकारी व प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी केएन सिंह ने बताया कि कैमरा से फोटो खींचने के बाद उसकी प्रिंटिंग में भी पैसे खर्च होते हैं। इसलिए भी योजना से पैसा निकाला जा सकता है। उन्होंने बताया कि मामले की जांच कराई जाएगी।