लखनऊ। दो दशको में यूं तो उत्तर प्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस.) के 105 अधिकारी निलंबित हो चुके हैं। लेकिन निलंबन को लेकर जितनी सुर्खियां दुर्गा शक्ति नागपाल ने बटोरी उतना किसी अन्य ने नहीं। देश की राजनीति में सर्वाधिक महत्वपूर्ण इस राज्य में मुख्य सचिव और प्रमुख सचिवों तक का निलंबन हो चुका है। लेकिन आईएएस संवर्ग के लिए सेवा की शुरुआत में एसडीएम पद से निलंबित होकर नागपाल ने पूरे देश में खूब सुर्खियां बटोरी। राजनीतिक गहमागहमी बढ़ाई। लोकतंत्र के चारों खंभों में इनके निलंबन की गूंज रही।
प्रदेश के नियुक्ति विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि दो दशकों में यहां 105 आईएएस अफसर निलंबित किये जा चुके हैं। इनमें ज्यादातर के खिलाफ प्रमाणित तथ्य नहीं मिलने से वे बाद में फिर बहाल हुए। इसमें सर्वाधिक 68 आईएएस अधिकारियों का निलंबन मायावती के चार शासनकालों में हुआ।
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नियुक्ति विभाग के अनुसार प्रदेश में आईएएस संवर्ग के 537 अधिकारियों का कैडर है। साल 1993 से अब तक लगभग 105 आईएएस अधिकारियों को निलंबित किया गया। निलंबित किए गए अफसरों में मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, विशेष सचिव, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी स्तर के अधिकारी शामिल हैं।
निलंबन करने वालों में दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी की सरकार रही है। सपा शासनकाल में लगभग 26 अफसरों का निलंबन किया गया। अन्य पार्टी की सरकारों में लगभग 11 आईएएस अफसरों का निलंबन किया गया।
बसपा शासन के दौरान सबसे अधिक आईएएस अफसरों का निलंबन समीक्षा बैठकों और औचक निरीक्षण के दौरान किया गया। इस दौरान प्रदेश के सबसे बडे प्रशासनिक पद मुख्य सचिव डी एस बग्गा को भी निलंबित होना पड़ा था।
दो दशकों मे निलंबित किए गए 105 अफसरों में से केवल 05 को ही निलंबन के बाद सजा मिली। इस संबंध में नाम नहीं छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने कहा कि राजनेताओं द्वारा आईएएस अधिकारी का निलंबन करना उनका स्टे्टस सिंबल यानी फैशन बन गया है। निलंबन करने में जैसे उन्हें सुकून मिलता है।
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इस अधिकारी ने कहा कि कुछ ऐसा ही एसडीएम नोएडा दुर्गा शक्ति नागपाल के मामले मे भी होने वाला है। गौरतलब है कि नागपाल पर आरोप है कि उन्होंने ग्रेटर नोएडा में अवैध रुप से सरकारी जमीन पर बनाई जा रही मस्जिद की दीवार को तोड़ने का आदेश दिया था जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
इस प्रदेश में अखंड प्रताप सिंह और नीरा यादव को मुख्य सचिव पद से सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से हटना पड़ा था। यह दोनों ही जेल गए थे। कोर्ट से सजा तो नियुक्ति विभाग के प्रमुख सचिव राजीव कुमार को भी हो चुकी है। लेकिन वह अभी भी अपने पद पर बने हुए हैं। आईएएस के 1981 बैच के टॉपर रहे प्रदीप शुक्ला बहुचर्चित एनआरएचएम घोटाले में जेल जा चुके हैं। काफी हो हल्ला मचने के बाद उन्हें निलंबित किया गया था।