लखनऊ: राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में साफ किया है कि प्राथमिक विद्यालयों में मिड डे मील बनवाने का जिम्मा प्रधानाध्यापकों का नहीं है। उनका कार्य मात्र मिड डे मील की निगरानी करना और तैयार होने के बाद उसे चखना है। मिड डे मील बनाने के लिए अलग से कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं।
प्रधानाचार्य परिषद मेरठ की जनहित याचिका पर कोर्ट द्वारा मांगे गए जवाब में प्रदेश सरकार ने बताया है कि मिड डे मील की नियमावली 2004 में प्रावधान है कि खाना बनाने के कार्य में अध्यापकों का समय नहीं जाया होना चाहिए, जिससे वह अध्यापन का अपना मूल कार्य न कर सकें। यह नीति पूरे प्रदेश में समान रूप से लागू है। इससे पूर्व याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश शिवकीर्ति सिंह और न्यायमूर्ति विक्र मनाथ की खंडपीठ ने मत व्यक्त किया था कि पूरे प्रदेश में मिड डे मील वितरण की एक समान व्यवस्था होनी चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब भी मांगा था। प्रधानाचार्य परिषद की याचिका में कहा गया था कि बागपत और मुजफ्फरनगर जिलों में मिड डे मील वितरण का कार्य एनजीओ को सौंपा गया है जबकि मेरठ जिले में यह जिम्मेदारी प्रधानाध्यापकों के पास है। अध्यापक बच्चों को पढ़ाएंगे या खाना बनवाएंगे। पक्षकारों के अधिवक्ताओं की मांग पर कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 26 अगस्त की तिथि नियत की है।