खुदा की कसम वो मोमिन नहीं जो खुद पेट भर खाये और उसका पड़ोसी भूखा रहे

Uncategorized

कायमगंज,फर्रूखाबाद: रमजान के महीने में जहां एक तरफ लोग अपने अपने सदकात से गरीबों की आंखों के आंसू पोंछने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं संगठन के रूप में जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द ने ह्यूमन वेलफेयर फाउन्डेशन के सहयोग से गरीबों और बेसहारा लोगों में इफ्तार किट वितरित की। इन कीट में आटा, चावल, दालें, शक्कर, चाय, बेसन, मटर, घी, सिवई, मेवा तथा अन्य खाद्य सामग्री थी।
Jamaatइस अवसर पर नाजमे इलाका फिरोजाबाद बहाबुद्दीन साहब ने फरमाया कि इस्लाम गरीबों की मदद पर अधिक जोर देता है। कुरान में अल्लाह तआला का फरमान है। उनके मालों में गरीबों और कमजोरों का हक है। हजरत मुहम्मद (सल0) ने फरमाया कि खुदा की कसम वो मोमिन नहीं जो खुद पेट भर खाये और उसका पडोसी भूखा रहे। एक दूसरे अवसर पर हजरत मुहम्मद (सल0) ने फरमाया मुझे अल्लाह की तरफ से हुक्म दिया गया है। कि मै तुम्हारे मालदारों से जकात वसूल करू और तुम्हारे गरीबों में तकसीम करू। गरीबी दूर करने का इस्लामी व्यवस्था में ये एक बेहतरीन हल है। कि हर साहिबे निसाब (मालदार) अपनी बचत पूंजी का 2.5 प्रतिशत जकात की शक्ल में गरीबों, यतीमों, कर्जदारों तथा अन्य असहाय लोगों पर खर्च करें। ईद से पहले मालदार फितरे की शक्ल में एक निर्धारित रकम गरीबों पर खर्च करते है। ताकि वह भी ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। जमाअते इस्लामी हिन्द ने इन शिक्षाओं के अनुसार अपने आरम्भ काल से ही जन सेवा करने का बीडा उठाया और इसके अन्तर्गत गरीब छात्रों, विधवाओं व दूसरे कमजोर वर्गों के लिए वजीफे देती है। डिस्पेंसरियों के माध्यम से उनका इलाज किया जाता है और हर साल सर्दियों के मौसम में कम्बल व लिहाफ वितरित किये जाते हैं। जमाअते इस्लामी जल्द ही गरीबों को ऊपर उठाने के लिए ब्याज रहित बैंकिग व्यवस्था कायम करेगी। इस समय पूरे देश में हमारे कार्यकर्ता अफ्तार किट तकसीम (वितरित) कर रहे हैं। इस अवसर पर सदस्य जमाअते इस्लामी हिन्द शान मुहम्मद साहब ने धनवानों से अपील की रमजान के माह में इन पवित्र व नेक कार्यों में बढ़चढ़कर हमारा सहयोग करें ताकि बडे पैमाने पर गरीबों की मदद की जा सके। उन्होंने जोर देते हुये कहा अपने खजानों का मुंह अल्लाह के बंदों के लिए खोल दें और कोशिश करें कि कोई भी व्यक्ति ईद की खुशियों से वंचित न रह सके। इस अवसर पर जनाब मुहम्मद इरशाद, डा0 मुहम्मद आरिफ, सलाहउद्दीन नूरउद्दीन, मुहम्मद जुऐव खान, अनीककुर्ररहमान, राशिद अहमद आदि मौजूद रहे।
 
वहीं जमाअते इस्लामी के एक अन्य कार्यक्रम में मुहल्ला चिलांका में शाकिर अहमद खां के मकान पर एक रोजा अफ्तार पार्टी का आयोजन भी किया गया। अफ्तार पार्टी का संयोजन जमाअत की जानिब से कार्यवाहक सदर राशिद अहमद खां ने किया। अब तक की अन्य अफ्तार पार्टीयों से यह अफ्तार पार्टी इस रूप में अलग थी कि इसमें महिलाओं की संख्या अधिक थी जिनके बैठने के लिए पर्दें का विशेष इंतजाम जमाअत के स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया था। जबकि अब तक की सभी अफ्तार पार्टियों में पुरूष रोजेदार ही शरीक होते रहे हैं। जमाअत की इस अफ्तार पार्टी में रोजेदार महिलाओं और पुरूषों के बैठने और इफ्तार करने की अलग अलग व्यवस्था पर्दे को ध्यान में रखकर की गयी थी। अफ्तार पार्टी में क्षेत्र की लगभग 150 से अधिक महिलाओं ने शरीक होकर मिलजुलकर एक साथ रोजा अफ्तार किया। वहीं पुरूषों की संख्या अफ्तार में 50-60 के ऊपर देखी गयी। अफ्तार पार्टी में आयी महिलाओं को अफ्तार से पूर्व शगुफ्ता वेगम और सरवरजहां वेगम ने सम्बोधित किया। वहीं पुरूषों को अफ्तार से पूर्व जमाअते इस्लामी के फिरोजाबाद मण्डल के अध्यक्ष मौलाना बहाबुद्दीन साहब ने सम्बोधित किया। सम्बोधनों में लोगों को रोजे की फजीलत बताते हुये उनसे दिल खोलकर गरीबों की अपने सदकात के जरिये मदद करने की अपील की गयी। मगरिब की अजान की आवाज के साथ ही सभी ने एक साथ मिलकर रोजा अफ्तार किया और मगरीब की नमाज पुरूषों ने अलग और महिलाओं ने अलग अदा की।