नई दिल्ली। क्या नोएडा की पूर्व एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल साजिश का शिकार हुईं। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स ने जिला प्रशासन के एक अधिकारी के हवाले से सनसनीखेज खुलासा किया है। अखबार के मुताबिक जिस निर्माणाधीन मस्जिद की दीवारी को ढहाने का हवाला देकर दुर्गा के निलंबन को जायज ठहराया जा रहा था वो दरअसल एसपी नेता नरेंद्र भाटी की साजिश का हिस्सा थी। इतना ही नहीं भाटी ने झूठ बोलकर सीएम अखिलेश यादव को भी गुमराह किया। एक वीडियो में नरेंद्र भाटी ने दावा किया था कि उन्होंने महज 41 मिनट में दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करवा दिया।
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मैंने कराया सस्पेंड – भाटी
इस वीडियो में समाजवादी पार्टी के नेता नरेंद्र भाटी दावा कर रहे हैं कि उन्होने 41 मिनट में किस तरह दुर्गा शक्ति नागपाल का निलंबन कराया। गांव वालों के सामने क्रेडिट लेते भाटी ये भूल गए कि उनका ये कबूल नाम रिकॉर्ड हो रहा है। इस वीडियो में वो बता रहे हैं कि कब उनका फोन गया और कितनी जल्द दुर्गा के निलंबन के आदेश आ गए। नरेंद्र भाटी कह रहे हैं, ‘माननीय मुलायम सिंह से बात हुई है, 10 बजकर 30 मिनट पर माननीय अखिलेश जी से बात हुई है और 11 बजकर 11 मिनट पर एसडीएम का सस्पेंशन ऑर्डर कलेक्टर के यहां रिसीव हो गया। ये है लोकतंत्र की ताकत’।
गांव में पीटा डंका
नरेंद्र भाटी उत्तर प्रदेश स्टेट एग्रो कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष हैं और उनका रुतबा कैबिनेट मंत्री का है। 2014 के लोकसभा चुनाव में गौतमबुद्ध नगर से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भाटी नोएडा के कादलपुर गांव के लोगों के बीच अपनी पहुंच का डंका पीट रहे हैं। बता रहे हैं कि किस तरह एक IAS अधिकारी को उन्होंने महज 41 मिनट में चलता कर दिया। भाटी साहब बड़ी शान से बता रहे हैं कि कैसे उन्होंने एसपी मुखिया मुलायम सिंह और सूबे के मुखिया अखिलेश यादव से सीधे बात की और 41 मिनट के अंदर नोएडा की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करा दिया।
नरेंद्र भाटी कह रहे हैं, ‘मैं यही आप लोगों को बताने आया हूं कि जिस औरत ने इतनी बेहूदगी यहां की वो…चालीस मिनट नहीं झेल पाई। साढ़े 9 से 11 बजकर 11 मिनट, 41 मिनट में सस्पेंशन का ऑर्डर छपकर लखनऊ से निर्णय होकर आ गया, कलेक्टर के यहां और उसको पता चल ही गया 11 बजकर 11 मिनट पर कि तुम सस्पेंड हो चुकी हो’।
भाटी की इस शेखी में कितना सच है ये कहना तो मुश्किल है मगर इतना सच है कि IAS दुर्गा नागपाल को रातोंरात सस्पेंड कर दिया गया था। बताया यही जाता है कि एक स्थानीय नेता के कहने पर ये कार्रवाई की गई और वो स्थानीय नेता और कोई नहीं बल्कि नरेंद्र भाटी ही हैं। मगर सवाल ये है कि नरेंद्र भाटी ने ऐसा क्यों किया ? आखिर दुर्गा शक्ति नागपाल से उनकी क्या दुश्मनी है? क्या नोएडा की इस पूर्व एसडीएम ने वाकई इलाके में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की? या फिर दुर्गा शक्ति नागपाल रेत माफिया के मंसूबों पर पानी फेर रहीं थीं?
अखबार हिंदुस्तान टाइम्स ने जिला प्रशासन के एक अधिकारी के हवाले से खुलासा किया है कि दुर्गा नागपाल ने दरअसल रेत खनन से जुड़े एक मामले में ओमेंद्र खारी नाम के शख्स के खिलाफ FIR करवाई थी और बताया जाता है कि ओमेंद्र नरेंद्र भाटी के बेहद करीबी है। लिहाजा भाटी इस मामले को लेकर दुर्गा से बेहद खफा थे।
साजिश के पीछे भाटी!
अखबार ने अधिकारी का हवाला देते हुए बेहद सनसनीखेज खुलासा किया है। जिस मस्जिद की दीवार को गिराए जाने को खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दुर्गा के सस्पेंशन की वजह बता रहे हैं वो निर्माण ही भाटी के दिमाग की उपज है। अखबार के मुताबिक भाटी ने ग्रेटर नोएडा के कादलपुर के गांववालों के बीच 51 हजार रुपए बांटे और कहा कि अगर पूरा गांव चाहता है तो मस्जिद बनवाने के लिए सरकारी इजाजत की जरूरत की नहीं है।
जैसे ही वहां दीवार बनी तो उन्होंने दुर्गा शक्ति नागपाल से मौखिक शिकायत की। उन्होंने बताया कि सरकारी जमीन पर अवैध धार्मिक निर्माण हो रहा है और इसे गिराया जाना चाहिए क्योंकि इससे इलाके की शांति भंग हो सकती है। जिला प्रशासन और पुलिस के निर्देश पर दुर्गा नागपाल मौके पर पहुंचीं और गांववालों से दीवार गिराने को कहा।
इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने इसके बाद सीएम अखिलेश यादव से झूठ कहा कि दुर्गा नागपाल ने मस्जिद की दीवार गिरा दी है जिसके चलते सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है। लिहाजा उन्हें फौरन निलंबित किया जाए।.
नरेंद्र भाटी कहते हैं, ‘सुबह फोन आया था हाजी जी का, फिर मैंने उनसे भी कहा कि आप फोन कर रहे हो। मुझे रात दस बजे शमशाद ने बता दिया कि दीवार गिरा दी और मैंने कार्रवाई भी पूरी कर दी है। आप निश्चिंत रहो रिजल्ट मिल जाएगा। वो आपको आज ही रिजल्ट मिल जाएगा। वो सुबह ही बता रहा था तभी तभी एसएसपी का फोन आया कि जी, वो एसडीएम का सस्पेंशन ऑर्डर रात को रिसीव हो गया है’।
सवाल ये कि क्या नरेंद्र भाटी ने दुर्गा नागपाल को सबक सिखाने के लिए मस्जिद का जाल बुना? क्या भाटी ने सीएम अखिलेश को झूठी सूचना दी? और क्या सीएम अखिलेश यादव के कान इतने कच्चे हैं कि वो अपने एक नेता की बातों में आ गए और बिना पड़ताल किए इतनी बड़ी कार्रवाई कर दी?