विनाशकारी बाढ़ में सैकड़ों गांव डूबे, मंत्री के सामने फफक पड़ा कटरी तौफीक का प्रधान

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SHAMSHABAD {FARRUKHABAD} : बाढ़ के विनाशकारी सैलाब में जनपद के सैकड़ों गांव जलमग्न होने के साथ ही लगातार बढ़ रहे जल स्तर से अगले दो दिनों में गंगा व रामगंगा के एक हो जाने के कयास लगाये जा रहे हैं। वहीं शमसाबाद विकासखण्ड के ग्राम कटरी तौफीक में गंगा के कटान का जायजा लेने पहुंचे मंत्री नरेन्द्र सिंह के सामने कटरी तौफीक का प्रधान गोपीनाथ राजपूत मोटे मोटे आंसुओं से फफक पड़ा। प्रधान का कहना है कि उसने अपनी तरफ से ग्रामीणों को पन्नी इत्यादि उपलब्ध करवायी। पूरा गांव गंगा में समाने जा रहा है लेकिन प्रशासन की तरफ से आज तक कोई सुविधा नहीं दी गयी है। मंत्री ने बाढ़ पीडि़तों की मदद का भरोसा दिया।

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जनपद में बाढ़ का पानी गंगा के किनारे बसे गांवों में तबाही मचाये हुए है लेकिन जनप्रतिनिधि व प्रशासन आंखें मूंदकर बैठे हुए हैं। शमसाबाद, कायमगंज, कमालगंज, राजेपुर के दर्जनों गांव गंगा की चपेट में आ गये हैं। शमसाबाद के ग्राम कटरी तौफीक व झौआ नगला में गंगा का कटान तेजी से हो रहा है। गांव में लगभग 100 घरों में से 20 घर कट चुके हैं। शेष पर भी गंगा का कटान जारी है। लोग अपने घरों में रखे सामान को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए बैलगाड़ी व ट्रैक्टरों का सहारा ले रहे हैं। लेकिन प्रशासन की तरफ से ग्रामीणों की आज तक कोई मदद नहीं की गयी है।

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बाढ़ का जायजा लेने पहुंचे राज्य मंत्री नरेन्द्र सिंह यादव व एसडीएम कायमगंज भगवानदीन वर्मा के सामने कटरी तौफीक के प्रधान गोपीनाथ राजपूत रो पड़े। उन्होंने कहा कि बाढ़ में उनके गांव के लगभग 100 घर चपेट में आने वाले हैं। 20 घर व झोपड़ी पहले ही गंगा की बाढ़ में शमा चुके हैं। प्रशासन की तरफ से रत्ती मात्र भी उनकी मदद नहीं की जा रही है। उन्होंने अपने पैसे से 70 लोगों को पन्नी खरीद कर दी है। जिससे वह लोग सड़क पर पन्नी डालकर रह रहे हैं। शेष लोगों के लिए पन्नी मंगवायी गयी है। मंत्री व एसडीएम ने कहा कि बाढ़ में कटे घरों के लोगों के नाम दे दें, अगले तीन दिन के अंदर उन्हें चेकें वितरित कर दी जायेगी।

मंगलवार को गंगा का जल स्तर 137 मीटर पर पहुंच जाने से बाढ़ ने विनाशकारी रूप धारण कर लिया है। नरौरा बांध से डेढ़ लाख क्यूसेक पानी और छोड़े जाने से अगले दो दिन में गंगा व रामगंगा के एक हो जाने के आसार लगाये जा रहे हैं। जनपद के सैकड़ों गांव पहले ही गंगा के पानी से घिर चुके हैं। फिलहाल ग्रामीण भारी दिक्कतों से जूझ रहे हैं लेकिन प्रशासन की तरफ से मदद का ढिढोरा दूर से ही पीटा जा रहा है। असलियत में न ही उनके सामान को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए मदद की जा रही है और न ही उन्हें कोई आर्थिक सहायता दी जा रही है।