डॉक्‍टर के प्राइवेट पार्ट का पोस्‍टमॉर्टम, शक के घेरे में नई महिला

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कानपुर:. सरकारी डॉ. सतीश चंद्रा हत्याकांड में पुलिस जांच के घेरे में नया किरदार आया है। डाक्टर की सहयोगी रही मंजू पर अब पुलिस का शक नहीं रह गया है। अब पुलिस को प्रीति नाम की एक युवती की तलाश है। घटना वाले दिन प्रीति का मंजू के घर पहुंचना उसे संदेह के घेरे में ला रहा है।
doctor satish
हालांकि पुलिस अब तक प्रीति का पता नहीं लगा सकी है, लेकिन उसका दावा है कि जल्‍द ही इस हत्‍याकांड में ठोस खुलासा किया जाएगा।गुरुवार को क्राइम ब्रांच की टीम ने साउथ इलाके में कई घंटे खाक छानी, हालांकि पुलिस के हाथ कुछ ठोस नहीं लगा।

बता दें कि 21 जुलाई को डॉ.चंद्रा की कानपुर देहात के रनियां क्षेत्र में स्थित पर्यटन विभाग के गेस्ट हाउस (राही पर्यटन आवास) में निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी। हत्यारे उनका मुंह स्टेपलर से सिल कर प्राइवेट पार्ट काटकर ले गए थे और उसे डाक्टर की पत्‍नी के पास कूरियर कर दिया गया था।

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डिलीवरी से पहले कूरियर वाले ने इसकी जानकारी पुलिस को दे दी थी। इसके बाद कूरियर पुलिस ने अपने कब्‍जे में ले लिया था। गुरुवार को डॉक्‍टर के प्राइवेट पार्ट का पोस्‍टमार्टम करवाया गया। पोस्‍टमार्टम की पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी की गई।अब प्राइवेट पार्ट को डीएनए जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ भेजा जाएगा।

मंजू के घर पूछताछ में पुलिस को प्रीति नाम की एक युवती की जानकारी मिली है। डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट को कूरियर करने से पहले प्रीति उसके घर पहुंची थी। परिजनों के मुताबिक 4.30 से 5.00 बजे के बीच आई युवती ने हल्के नीले रंग की जींस, मटमैले रंग के जूते, सफेद रंग का इनर और नीले रंग का टॉप पहन रखा था। उसके बाल घुंघराले थे। वह खुद को मंजू की पुरानी सहेली बता रही थी। परिजनों का कहना है कि वह सामान्य कद और थोड़ी मोटी सी थी। चेहरे पर बायीं ओर काला दाग था। वह काले और हल्के हरे रंग का लांग बैग भी लिए थे। घरवालों का कहना है कि उसने बेटी का नंबर लेने के साथ शादी का कार्ड भेजने की बात कहते हुए कई बार उसके सुल्तानपुर का पता बताने के लिए उन पर दबाव डाला।

मृतक डॉ के बड़े भाई महेश का आरोप है कि पुलिस उन लोगों को कुछ भी नहीं बता रही है, और ना ही उनकी बातों को सुन रही है। उन्होंने ये आरोप लगाया है-

1. घटना के दिन इन्हें बॉडी को देखने के लिए पुलिस ने पहले रानिया चौकी भेजा वहां से अकबरपुर कोतवाली भेजा गया, फिर वहां से पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया। पुलिस उनके चक्कर लगवाती रही।

2. घटना के बाद होटल के सभी कर्मचारी भाग क्यों गए थे।

3. घटना दिन की थी और इन्हें पुलिस ने रात 11:30 पर इसकी सूचना क्यों दी गई।

4. सबसे महत्वपूर्ण कि होटल के रजिस्टर में सिर्फ डॉ सतीश चंद्रा प्लस एक महिला लिखा था। उसमें ना तो डॉ साहब का पता लिखा था और ना ही उस महिला का नाम लिखा था, जबकि ये जरुरी था।

5. परिजनों ने एक अज्ञात डॉ के साथ एक दुसरे डॉक्टर विवेक गुप्ता का भी नाम लिया था, मगर पुलिस डॉ विवेक गुप्ता से कोई पूछताछ नहीं कर रही है।

परिजनों को शक है कि डॉ विवेक गुप्ता ने ही डॉ सतीश चंद्रा का हत्या करवाया है। डॉ सतीश चंद्रा जहां एमओआईसी थे वहीं पहले डॉ विवेक गुप्ता भी थे। करीब दो साल पहले विवेक गुप्ता किसी ट्रेनिंग की वजह से बाहर चले गए थे। तब कानपुर देहात के सीएमओ ने डॉ सतीश चंद्रा को ये चार्ज दिया था। डॉ गुप्ता के लौटने के बाद सीएमओ ने पुनः ये चार्ज डॉ चंद्रा से लेकर डॉ गुप्ता को दे दिया था। अस्पताल के कर्मचारियों ने इसका जमकर विरोध किया। इससे सीएमओ ने डॉ चंद्रा को ये चार्ज पुनः दे दिया। इसको लेकर डॉ गुप्ता और डॉ चंद्रा में जमकर झड़प हुई थी। तब से ये टशन चली आ रही थी। डॉ गुप्ता ने डॉ चंद्रा को देख लेने की धमकी भी दी थी।