उत्तर प्रदेश में छवि को लेकर चिंतित समाजवादी पार्टी ने अब बड़े ऑपरेशन का फैसला कर लिया है। अपनों और परायों का फर्क भूलकर सरकार की प्रभावी भूमिका और जनहितैषी छवि को गाढ़ा करने का निर्णय किया गया है।
इसके लिए सत्ता से संगठन तक में बदलाव की पटकथा तैयार कर ली गई है। सिर्फ उसके मंचन की तारीख तय होनी बाकी है। इसके तहत न सिर्फ पंचम तल के कुछ प्रभावशाली अफसरों के पर कतरते हुए उन्हें नेपथ्य में भेजा जा सकता है बल्कि कुछ नए चेहरों को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सारथी की भूमिका दी जा सकती है।
मंत्रिमंडल में भी महत्वपूर्ण बदलाव के संकेत सुनाई दे रहे हैं। बदलाव की पूरी प्रक्रिया पर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह की मंजूरी की मुहर भी लग चुकी है।
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जानकारी के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के लिए सपा की संभावनाओं की समीक्षा करने के लिए मुलायम सिंह यादव ने रविवार को यहां परिवार के सभी प्रमुख लोगों के साथ लंबी मंत्रणा की।
जानकारी के मुताबिक, मंत्रणा में यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया कि विभिन्न जिलों से आने वाली रिपोर्टें बहुत अच्छा संदेश नहीं दे रही है। चुनाव में सूबे से कम से कम 60 सीटें जीतने के लक्ष्य पर सरकार की छवि और अफसरों का रवैया भारी पड़ता दिख रहा है। लोग प्रदेश सरकार को अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतरता नहीं मान रहे हैं।
थानों से लेकर अस्पताल तक कहीं भी लोगों को डेढ़ साल में बड़े बदलाव का एहसास नहीं कराया जा सका है। अगर ऐसा ही रहा है तो लोकसभा चुनाव में मंसूबों पर पानी फिर जाएगा।
यह हो सकते हैं बदलाव : सूत्रों के अनुसार तीन कैबिनेट मंत्रियों के विभागों बदलाव किया जा सकता है या उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर भी बैठाया जा सकता है। इसमें दो पूर्वांचल के बताए जा रहे हैं। एक के पुत्र के बारे में कांग्रेस में जल्द ही शामिल होने की चर्चा है।
एक मंत्री के खिलाफ कई शिकायतें हैं। इसके अलावा मंत्रिमंडल में शामिल दो राज्यमंत्रियों को तरक्की देकर कैबिनेट का दर्जा देने की बात कही जा रही है। राज्यमंत्रियों में भी कुछ के बाहर होने तो कुछ के विभागों में फेरबदल किए जाने की बात है। पार्टी से जुड़े कई� प्रकोष्ठों को भंग करने के पीछे भी इसी आपरेशन की भूमिका बताई जा रही है।
प्रमुख नेताओं के पास मनमाने तरीके से लोगों द्वारा मिलते-जुलते नामों वाले संगठन बना लेने की शिकायत पहुंच रही थी। यह शिकायत भी आ रहीं थी कि इनके अलग-अलग सम्मेलन करने से लोगों में भ्रम की स्थिति बन रही है। साथ ही गुटबाजी भी बढ़ रही है।
पंचम तल में भी बदलाव
पंचम तल के कुछ अफसरों के मनमाने व्यवहार के चलते सरकार की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ने की बात सामने आई। इसको लेकर बैठक में गहन चर्चा हुई। स्वीकार किया गया कि कुछ अफसरों के काम काज के तौर तरीके की वजह से सरकार को लेकर लोगों में गलत संदेश जा रहा है।
लोगों में यह धारणा घर करती जा रही है कि मुख्यमंत्री के आदेशों का कोई मतलब नहीं है। जो यह अधिकारी चाहते हैं, वही हो रहा है। सपा सुप्रीमो ने इसे बेहद गंभीर बताते हुए सत्ता से संगठन तक के बदलाव के साथ ही पंचल तल के बेलगाम अफसरों को कसने और जरूरी बदलाव की मंजूरी दे दी है। पर प्रस्ताव पर मोहर लगा दी।