फर्रुखाबाद : लिखित माफीनामा लाओ और भाजपा में सक्रियता का फरमान ले जाओ, के फार्मूले पर बागियों को आममाफी दी जा रही है। करीब एक वर्ष पूर्व निकाय चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ बगावत करने वाले भाजपाइयों की एंट्री लगी रोक हटा दी गई है। लोकसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर लगभग साढ़े चार सौ निष्कासित भाजपाइयों को राहत देने के फैसले से पार्टी में असंतोष के स्वर भी उठ रहे है। फर्रुखाबाद के भी कम से कम तीन कद्दावर नेता माफीनामे के बाद न केवल पाक साफ़ हुए बल्कि राष्ट्रीय लेवल पर पद पाने में भी सफल रहे है| इनमे से एक लोकसभा टिकेट के दावेदार भी शामिल है| विधान सभा चुनाव में भितरघात के आरोप और शक्ष्य के बाद इन पर तलवार लटकी थी|
गत वर्ष अक्टूबर माह में एक साथ करीब 350 बागियों के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई पर भाजपा नेतृत्व ने अपनी पीठ ठोंकी थी, इसके अलावा दूसरे चरण में भी सौ से ज्यादा बगावत करने वाले कार्यकर्ताओं को भाजपा से बाहर का रास्ता दिखाया गया था। इतनी बड़ी कार्रवाई एक साथ करने का मकसद संगठन में अनुशासन की जड़ें पुख्ता करना बताया गया था।
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बदले हालात में नेतृत्व का रुख नरम हुआ। अनुशासन समिति ने बागियों की एप्लीकेशन स्वीकार करनी शुरू कर दी है। समिति अध्यक्ष वीरेंद्र सिरोही का कहना है कि केवल जिला एवं क्षेत्रीय समितियों के माध्यम से मिले आवेदन पत्रों पर ही विचार किया जा रहा है। लिखित माफीनामे में भविष्य में ऐसी गलती नहीं करने का आश्वासन देना जरूरी है।
सूत्रों का कहना है कि बागियों को नेतृत्व की नरमी के पीछे लोकसभा चुनाव की तैयारियों में पुराने व रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने का फार्मूला लागू करना है ताकि मंडल और बूथ कमेटियों में पार्टी की रीतिनीति जानने वाले कार्यकर्ता अधिक से अधिक हो। इसके अलावा कुछ बागियों को सीधे तौर पर केंद्रीय स्तर पर रियायत मिलने से भी प्रदेशीय स्तर पर अनुशासन के अंकुश का कोई मतलब नहीं रह गया था। नए बदलाव में डेढ़ सौ से अधिक बागियों को वापसी की हरी झंडी मिल चुकी है।