फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश सरकार मुर्गी पालन कराकर अब एक तीर से दो निशाने साधने की तैयारी में है। शासन ने कुक्कुट विकास नीति-2013 से पांच वर्षो में जहां चूजा और अंडा उत्पादन के क्षेत्र में देश में प्रथम पायदान पर आने का लक्ष्य रखा है। साथ ही इस क्षेत्र में लोगों को रोजगार देकर बेरोजगारी मिटाने की तैयारी भी कर ली है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले पांच सालों में अंडा ही नहीं चूजा भी अपना होगा। इसके लिए सूबे में 10 हजार ब्रायलर पक्षियों की 60 इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।
मौजूदा समय में प्रदेश में मुर्गी के चूजों का सालाना उत्पादन 1082 लाख है। खपत पूरा करने के लिए 972 लाख चूजे हर साल दूसरे प्रदेशों से मंगाने पड़ते हैं। यही स्थिति अंडा उत्पादन की भी है। सरकार ने तय किया है कि अंडा उत्पादन के लिए ब्रायलर पैरेंट फार्म इकाई की स्थापना करने वालों को आर्थिक मदद दी जाएगी। यह मदद सरकार ब्याज की अदायगी करके करेगी। सरकार चूजा उत्पादन के लिए फार्म की स्थापना के लिए फिलहाल 60 इकाइयों की स्थापना में 123 करोड़ रुपये का निवेश कराएगी। इन इकाइयों में 90 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलेगा। साथ ही पांच वर्षो बाद तो दूसरे प्रांत से चूजा भी नहीं मंगाना पड़ेगा।
ऐसे होगी व्यवस्था
चूजा उत्पादन के क्षेत्र में उद्योग लगाने वालों को किसी राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण लेना होगा। उसे बैंक से लिए गए कर्ज पर 5 वर्षो के दौरान ब्याज प्रतिपूर्ति के रूप में अधिकतम 45 लाख या 10 फीसद धन पशु पालन विभाग द्वारा वापस किया जाएगा। एक इकाई के लिए छह एकड़ भूमि अगर उद्यमी खरीदता है तो उस पर स्टाप शुल्क नहीं लगेगा। एक उद्यमी एक से अधिक इकाई भी लगा सकता है।
यहां करें आवेदन
उद्यमी को निदेशक पशुपालन/ उप्र कुक्कुट विकास परिषद को तय प्रारूप पर आवेदन करना होगा। यह फार्म निदेशालय या विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। आवेदन जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के जरिए निदेशक को भेजा जाएगा।
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‘ नई नीति से निश्चित रूप से चूजा उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा। इस योजना के लिए लोगों को आगे आना चाहिए। ‘ सीएस यादव, उप निदेशक पशु चिकित्सा विभाग
ब्रायलर पैरेंट फार्म इकाई संरचना
प्रति फार्म लागत: 206.50 लाख
बैंक ऋण: 145 लाख
मार्जिन मनी: 61.50 लाख
रोजगार सृजन: 1500
सालाना आय: 45 लाख