राष्ट्रध्वज अपमान मामले में सुब्रत राय और सहारा इंडिया परिवार को नोटिस जारी

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subrat saharaलखनऊ: लखनऊ के रमाबाई मैदान में सोमबार दिनांक 06-05-13 को सहारा इंडिया परिवार द्वारा आयोजित भारत भावना दिवस में राष्ट्रध्वज के अपमान के लिए सुब्रत राय एवं सहारा इंडिया परिवार के उत्तरदायी अधिकारियों एवं कार्मिकों के विरुद्ध अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए सुब्रत राय सहारा और सहारा इंडिया परिवार को नोटिस जारी किया है|

राष्ट्रीय गौरव अपमान अधिनियम 1971 की धारा-2 के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर कानूनी कार्यवाही के एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा ने प्रार्थना पत्र थाना तालकटोरा लखनऊ को 09-05-13 को दिया था l थानाध्यक्ष तालकटोरा ने प्रकरण पर टालमटोल करते हुए प्रकरण के सम्बन्ध में उरवशी को थाना आशियाना से संपर्क करने की हिदायत दी l दिनांक 11-05-13 को प्रकरण में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर कानूनी कार्यवाही के लिए उर्वशी ने प्रार्थना पत्र थाना आशियाना लखनऊ को को दिया l थाना आशियाना द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी और बाध्य होकर उर्वशी ने 15-05-13 को प्रकरण में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर कानूनी कार्यवाही के लिए प्रार्थना पत्र लखनऊ के एसo एसo पीo को भी दिया परन्तु बड़े बड़े दावे करने बाले वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा भी उनके स्तर से राष्ट्रध्वज के सम्मान से खिलवाड़ के इस मामले में कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी l

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उर्वशी के अनुसार दायर याचिका में कहा गया है कि भारत के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्र गौरव का प्रतीक मानते हुए अपने राष्ट्रीय ध्वज का पूरा सम्मान करना चाहिए। राष्ट्रीय गौरव अपमान अधिनियम 1971 , राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण(संशोधन) अधिनियम 2005 की की धारा-2 के तहत यह एक दंडनीय अपराध है, जिसके लिए 3 वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है l क्योंकि सहारा का ये कार्यक्रम सार्वजनिक रूप से सहारा इंडिया परिवार द्वारा आयोजित कर कार्यक्रम की सफलता का श्रेय सुब्रत राय और सहारा इंडिया परिवार द्वारा लिया गया इसलिए कार्यक्रम में राष्ट्रीय ध्वज के घनघोर अपमान के लिए कार्यक्रम की आयोजक संस्था सहारा इंडिया परिवार और सुब्रत राय ही उत्तरदायी हैl राष्ट्रीय प्रतीक का सार्वजनिक अपमान सुब्रत राय और सहारा इंडिया परिवार द्वारा किया गया जघन्यतम अपराध है और इनको इनके किये की सजा मिलनी ही चाहिए l यदि कार्यक्रम की सफलता का श्रेय लेते हुए सुब्रत राय गिनीज बुक का प्रमाणपत्र स्वयं लेते हैं तो उसी कार्यक्रम में राष्ट्र ध्वज के अपमान के कुकृत्य की जिम्मेवारी भी उनको ही लेनी चाहिए ल

उर्वशी के अनुसार सुब्रत राय और सहारा इंडिया परिवार ने इस कार्यक्रम का आयोजन सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए ही किया था l यदि सुब्रत राय और सहारा इंडिया परिवार ने इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रभावना से प्रेरित होकर किया होता तो न तो सुब्रत राय स्वयं राष्ट्ध्वज को उल्टा पकड़कर उसका अपमान करते और न ही अपने कार्यक्रम में राष्ट्ध्वज को यूं पैरों तले कुचलने देते l

उर्वशी ने इस प्रकरण की शिकायत सरकार के छोटे से बड़े सभी अधिकारियों से की लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि राष्ट्रीय प्रतीक के सार्वजनिक अपमान के इस प्रकरण में प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक ,लखनऊ के डीआईजी , एसएसपी, थानाध्यक्ष थाना तालकटोरा और थानाध्यक्ष थाना आशियाना ने कोई ध्यान नहीं दिया और न ही प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति ही उपलब्ध करवाई। इसके बाद न्यायलय की शरण ली और राष्ट्रध्वज का अपमान करने के आरोप का इस्तगासा जुडिशयल मजिस्ट्रेट द्वितीय की अदालत में 20-05-13 को दायर किया । परिवाद का अवलोकन करने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय रश्मि सिंह ने मामले की जांच के लिए परिवाद को आशियाना थाने भेजने के आदेश के साथ एक सप्ताह में आख्या तलब की l थाने ने न्यायालय को प्रेषित अपनी आख्या में थाने पर कोई अभियोग पंजीकृत न होना सूचित किया l न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय रश्मि सिंह ने 156(3) CrPc का वाद संख्या 70/13 अपने आदेश दिनांक 12-06-13 के द्वारा ख़ारिज कर
दिया l

अवर न्यायालय के इस आदेश के विरुद्ध मैंने लखनऊ के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के सम्मुख फौजदारी निगरानी वाद संख्या 286/13 दिनांक 09-07-१३ को दायर किया लुर्वाशी के अधिवक्ता त्रिभुवन कुमार गुप्ता के मुताबिक जिला एवं सत्र न्यायाधीश के0 के0 शर्मा ने अवर न्यायालय के आदेश दिनांक 12-06-13 एवं फौजदारी निगरानी वाद का अवलोकन कर वाद को फौजदारी निगरानी के रूप में अंगीकृत कर अभियुक्तगणों को नोटिस जारी करने एवं मेरे इस वाद को सुनवाई हेतु दिनांक 12-08-13 को पेश करने का आदेश पारित किया है l

गुलाम भारत में अंग्रेज शासक तिरंगे का अपमान करते थे और कैसे हमारे देश के राष्ट्रभक्त तिरंगे की आन-वान-शान की रक्षा के लिए हँसते हँसते अपनी जान तक न्योछावर कर देते थे l आज हम 65 वर्षों से अधिक समय से आजाद है l क्या हमारे पूर्वज स्वतंत्रता-सेनानियों ने आजाद भारत में ऐसे शाशन की कल्पना भी की होगी ? शत प्रतिशत नहीं| दुर्भाग्य से वस्तुस्थिति तो हम सबके सामने है ही l