योग गुरु बाबा रामदेव अब भाजपा के सहारे राजनीति के अखाड़े में उतरने की तैयारी में हैं। कभी राजनीतिक दल बनाने का ऐलान करने वाले बाबा रामदेव फिलहाल तो अपने ‘शिष्यों’ को भाजपा के बैनर तले लोकसभा की सियासी जंग में उतारने की सोच रहे हैं। हालांकि भाजपा चाहती है कि बाबा खुद हरिद्वार से चुनाव लड़ें।
नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का राग अलाप रहे बाबा रामदेव की इन दिनों भाजपा के साथ ’दोस्ती’ चल रही है। माना जा रहा है कि ‘नमो-नमो’ का राग अलापने वाले बाबा की आगामी लोकसभा चुनाव पर नजरें टिकी हैं।
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सूत्रों के अनुसार बाबा चाहते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से उनके पांच ’शिष्यों’ को भाजपा टिकट दे। खासतौर पर रामदेव के करीबी व आर्य समाज से जुड़े स्वामी ओमवेश ने तो बिजनौर से तैयारी भी शुरू कर दी है। वे लोकदल से विधायक रह चुके हैं।
इनके अलावा रामदेव मुजफ्फरनगर और सहारनपुर समेत जाट बहुल जिलों में कम से कम पांच सीटें चाहते हैं। हरिद्वार स्थित अपने पतंजलि योगपीठ से बाबा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों खासतौर पर जाट बिरादरी के बीच अपने योग केंद्र व उत्पादों से जुड़े नेटवर्क के जरिये राजनीतिक जनाधार भी बनाने में कामयाब हो चुके हैं।
कांग्रेस के साथ बाबा रामदेव के बिगड़े संबंधों का भाजपा भी आगामी लोकसभा में लाभ लेना चाहती है। वैसे खुद बाबा रामदेव भी भाजपा और खासतौर पर मोदी के समर्थन में उतर चुके हैं।
कभी राजनीति पार्टी बनाने का ऐलान कर चुके रामदेव ने भले ही यह इरादा टाल दिया हो, लेकिन राजनीतिक अखाड़े में कूदने की उनकी महत्वाकांक्षा कायम है। उन्हें अपने अरबों के कारोबार के लिए भी राजनीतिक संरक्षण चाहिए।
बाबा की इसी महत्वाकांक्षा को देख भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में उन्हें भी हरिद्वार से मैदान में उतार सकती है। यदि ऐसा हुआ तो वे केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत के खिलाफ ताल ठोकते मिलेंगे। लेकिन इतना तो तय है कि बाबा के कुछ ‘शिष्य’ चुनाव मैदान में उतरेंगे।