पुराने राशन कार्ड हुए एक्सपायर: कई मुहल्लों में शुरू नहीं हुआ सर्वेक्षण, कैसे बन पाएंगे राशन कार्ड

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फर्रुखाबाद: सुविधा के आदि हो चुके प्रशासनिक तंत्र का आलम ये है कि जिस जनता के टैक्स से घर की रोजी-रोटी चलती है उसी जनता का काम समय से निस्तारित करने का कोई हक अदा करने की सोच तक नहीं| मामला नए बन रहे राशन कार्ड का ही ले ले| फरवरी 2013 के आदेश से शुरू हुआ राशन कार्ड नवीनीकरण का काम जो अब तक ख़त्म हो जाना चाहिए था कुछ इलाको में तो शुरू तक नहीं हो पाया| नगर क्षेत्र के कई दर्जन इलाको में अब तक न कोई सर्वेक्षण करने पंहुचा और न ही इस लापरवाही में कोई नपा| अधिकारी को चिंता तो सिर्फ अपनी सुविधा की है जनता का दर्द और शिकायते कूड़े के ढेर में घर तलाशती रहती है|

जून ३० तक सर्वेक्षण का कार्य पूरा होने का लक्ष्य कबका निकल गया| अफसरों की जिला स्तरीय बैठको में धमकी-कुडकी सब होती रही मगर नतीजा सिफर का सिफर| फतेहगढ़ के सिविल लाइन, केशव नगर, बरगदिया घाट, पहाडा, गिहार बस्ती लकूला, नगला प्रीतम आंशिक मुहल्लों से खबर मिली है कि इन इलाको में ड्यूटी में लगे मास्टरों ने अभी तक सर्वेक्षण का काम नहीं किया| कई मुहल्लों में टीम सहायक (मास्टर) तो सर्वेक्षण में देखे गए मगर मठाधीश टीम प्रभारी ड्यूटी पर जाने में शर्माते रहे|

मास्टर की जगह कोटेदार का नौकर राशन कार्ड का सर्वेक्षण करता हुआ
मास्टर की जगह कोटेदार का नौकर राशन कार्ड का सर्वेक्षण करता हुआ
अव्वल तो मास्टर ड्यूटी पर गए ही नहीं| अधिकांश में राशन कार्ड के फार्म कोटेदार को थमाए और बरी हो गए| आवास विकास कॉलोनी में ड्यूटी में लगे मास्टर असलम मिर्ज़ा कहते है कि काम बहुत है इसलिए कोटेदार को दे दिया| कोटेदार ने पुराने राशन कार्ड धारको के यहाँ अपना नौकर भेज फार्म बटवा दिए और जिन के नए राशन कार्ड बनने थे वे आज तक राह देख रहे है| जे एन आई के कैमरे में जब ऐसा ही एक सर्वेक्षण कैद हुआ तो कोटेदार के नौकर ने खुद को नवीन घोडा नखास में तैनात मास्टर मिर्ज़ा असलम बताया (फोटो में बनियान पहने युवक खुद को मास्टर बताता रहा)| यानि कि फर्जीवाडा वैसा ही होगा जैसा होता रहा| कोटेदार के लिए मास्टरों और जिला पूर्ति कार्यालय ने भ्रष्टाचार का रास्ता और साफ़ कर दिया| जिला पूर्ती विभाग का एक बाबू जो खुद को जिला पूर्ती अधिकारी से कम नहीं समझता और जिले भर की वसूली का हिसाब किताब रखता है उसके अनुसार सब निपट जायेगा|

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बात निपटने की है तो निपट तो जायेगा ही| जरूरतमंद को राशन कार्ड मिले न मिले कोटेदार के लिए वे राशन कार्ड जरुर बन जायेंगे जो राशन नहीं लेते केवल राशन कार्ड बंबाते है| ऐसी ही संख्या से कोटेदार का बचा हुआ राशन ब्लैक होता है जिसमे से जिला पूर्ती कार्यालय भी फलता फूलता है| निपट तो गरीब जनता रही है जिसे राशन और मिटटी का तेल चाहिए| तो समय पूरा हो चूका है सर्वेक्षण का, अब देखना ये है कि नया राशन कार्ड वर्ष 2014 में जनता को मिल पता है या नहीं| क्योंकि अब तक के शासनादेश के अनुसार जून 2013 अवधि के बाद सभी राशन कार्ड अवैध हो चुके है| 31 दिसम्बर 2012 को 6 महीने के लिए वैधता बढ़ाई गयी थी जो 30 जून को समाप्त हो गयी है|