साहरनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में मृत बहन के शैक्षिक प्रमाणपत्रों के जरिए बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल में 21 साल तक अध्यापिका की नौकरी करने वाली महिला की सेवाएं समाप्त कर विभाग ने इस अवधि में प्राप्त वेतन की रिकवरी के आदेश दिए हैं।
इस फर्जीवाडे़ का खुलासा कराने वाली कोई और नहीं, बल्कि शिक्षिका की अपनी सौतेली बेटी है। मंडी थानांतर्गत मातागढ़ निवासी संदीप शर्मा की पत्नी ज्योति शर्मा ने बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2012 में शिकायत की थी कि उसकी मां शशिबाला की मृत्यु 12 फरवरी 1979 को हो गई थी।
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जिसके बाद पिता भूदेव प्रसाद गौतम ने उसकी मौसी उषा से विवाह कर लिया। ज्योति का आरोप था कि उषा ने शशिबाला के शैक्षिक प्रमाणपत्रों के आधार पर 1992 में अपना नाम शशिबाला दर्शाते हुए बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापिका की नौकरी प्राप्त कर ली थी।
शिकायत की कई स्तर पर हुई विभागीय जांच में हर बार शिक्षिका प्रमाणपत्रों के जरिए खुद को शशिबाला साबित करने में सफल होती रही, लेकिन उषा के नाम से प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त के एक दस्तावेज ने पेंच फंसा दिया और मामला खुल गया।
ज्योति द्वारा पेश किए गए इस आशय के दस्तावेजी प्रमाणों के आधार पर विभाग ने बीते 28 मार्च को उषा को सस्पेंड कर दिया, तो इसके खिलाफ ऊषा हाईकोर्ट चली गई।
हाईकोर्ट ने निलंबन के आदेशों के अमल पर रोक लगाते हुए बीते 24 अप्रैल को विभाग को दो माह में जांच कर निर्णय करने के निर्देश दिए। इस बार की जांच में झूठ साबित हो गया और शिक्षिका शशिबाला का असली नाम उषा ही पाया गया। इसकी पुष्टि उसके सहपाठी रहे दो लोगों ने भी की।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बुधवार को आदेश जारी कर बताया कि उषा रानी को छद्म नाम से कपट पूर्वक नौकरी प्राप्त करने का दोषी पाए जाने पर उसकी सेवा समाप्त करते हुए सेवा संबंधी सभी प्रकार के लाभों से वंचित किया जाता है। साथ ही वेतन की रिकवरी के आदेश भी दिए गए हैं।
जादू:- ये उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा का ही जादू है जहाँ हजारो शिक्षक फर्जी दस्ताबेजो के आधार पर नौकरी कर रहे है| और ऐसा भी नहीं है कि विभाग को पता नहीं है| जिला स्तरों में सीटो पर वर्षो से जमे बबुओ को सब पता है| मगर अपराध रोकने की जगह ये बाबू इन मास्टरों से महीना लेते है और बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी माल खिलाते है| आदेश तो अदालत ने कर दिया है मगर संदेह है कि इसका वास्तविक अनुपालन विभाग के अफसर कराएँगे| क्योंकि ऐसे सैकड़ो मामले है जिनमे अदालत आदेश कर चूका है मगर अभी तक अनुपालन नहीं हुआ है|