लखनऊ : बसपा सरकार के तीन और मंत्रियों की मुश्किल बढ़ गयी है। शासन ने सतर्कता विभाग की खुली जांच के आधार पर पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कर विवेचना कराये जाने के निर्देश दिए हैं, जबकि पूर्व माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र के खिलाफ की गयी विवेचना के आधार पर आरोप पत्र दाखिल करने की अनुमति मिली है। मिश्र के खिलाफ अब न्यायालय में अभियोजन चलेगा।
राज्य सरकार ने पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के आरोप में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1) ई सपठित धारा 13(2) के अन्तर्गत (अनअनुपातिक व्यय और भ्रष्टाचार) के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत कराकर विवेचना कराये जाने के आदेश सतर्कता विभाग को दिए हैं। पूर्व में सिद्दीकी के विरुद्ध लोकायुक्त उत्तर प्रदेश द्वारा की गयी जांच के आधार पर खुली जांच के आदेश सतर्कता विभाग को दिए गये थे। सतर्कता विभाग द्वारा की गयी खुली जांच से सिद्दीकी की 27 मार्च 1997 से 21 मार्च 2012 तक की अवधि में कुल आय 69,96,809 रुपये के सापेक्ष 14,32,00609 रुपये का व्यय पाया गया। आय से 13,62,03,800 रुपये अधिक व्यय पाये जाने के फलस्वरूप सतर्कता अधिष्ठान द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की उपरोक्त धाराओं में यह मुकदमा दर्ज किया जायेगा।
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राज्य सरकार द्वारा बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराओं (पद का दुरुपयोग, अनअनुपातिक व्यय) और धोखाधड़ी आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए गये हैं। लोकायुक्त द्वारा कुशवाहा के विरूद्ध की गयी जांच के आधार पर ही सतर्कता विभाग को खुली जांच के निर्देश दिए गये थे। इस जांच के बाद सतर्कता विभाग ने 18 अप्रैल 2013 को राज्य सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी। सतर्कता विभाग ने कुशवाहा के अलावा कुछ लोकसेवकों के विरुद्ध विभागीय स्तर पर कार्यवाही किये जाने की भी संस्तुति की गयी थी। राज्य सरकार ने सतर्कता विभाग के अनुरोध को स्वीकार करते हुए उक्त निर्णय लिया है। सूत्रों के मुताबिक जांच में कुशवाहा द्वारा शपथ पत्र में नाम बदलने, फर्जी प्रमाण पत्र लगाने और खनन प्रक्रिया में निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन करने का भी मामला सामने आया है। उन्होंने रामचरन नाम से शैक्षणिक प्रक्रिया शुरू की और बाद में बाबू सिंह कुशवाहा के नाम से स्नातक की डिग्री हासिल की गयी। यह सब अवैध ढंग से किया गया। बाबू सिंह ने करीब 35 प्रतिशत आय से अधिक व्यय किया।
राज्य सरकार ने पूर्व माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1) ई सपठित धारा 13(2) के तहत मुकदमा दर्ज कर विवेचना की थी। करीब साढ़े चार वर्ष की अवधि में उन्होंने 1.57 करोड़ रुपये आय की, जबकि इसके सापेक्ष उन्होंने 7.61 करोड़ रुपये व्यय किये। मिश्र ने 385 प्रतिशत अधिक व्यय किया। 29 अप्रैल को सतर्कता विभाग ने इस आधार पर रंगनाथ मिश्र के खिलाफ न्यायालय में अभियोजन चलाये जाने के लिए अनुमति मांगी। परीक्षण के उपरांत सरकार ने मिश्र के खिलाफ अभियोजन चलाने की संस्तुति प्रदान कर दी है। अब बहुत जल्द उनके खिलाफ सम्बंधित न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल होगा। उल्लेखनीय है कि अवधपाल सिंह यादव तथा बादशाह सिंह के खिलाफ राज्य सरकार ने पहले ही अभियोजन चलाने की सहमति दे दी थी, जबकि रामअचल राजभर, राकेश धर त्रिपाठी और चन्द्रदेव राम यादव के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर विवेचना चल रही है। अब सिर्फ रामवीर उपाध्याय के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने की अर्जी शासन के पास लंबित है।