FARRUKHABAD : थाना नबावगंज क्षेत्र के पुठरी चैराहा के निकट स्थित ग्राम बिराहिमपुर निवासी दो चचेरे भाई भैंस चराने के लिए खेतों की तरफ गये थे, तभी वहां भट्टे की ईंट बनाने के लिए खोदे गये गहरे गड्ढे में पैर चला जाने के कारण दोनो की डूबकर मौत हो गयी। शव बरामद होते ही क्षेत्र में कोहराम सा मच गया। भट्ठा मालिक के खिलाफ आक्रोषित ग्रामीणों ने पुठरी नबावगंज मार्ग पर शव रखकर जाम लगा दिया।
बिराहिमपुर निवासी नेत्रपाल का 14 वर्षीय पुत्र लोकेश व उसके छोटे भाई चन्द्रपाल का 12 वर्षीय पुत्र अरुण गांव के ही रोहित पुत्र बादाम सिंह के साथ भैंस चराने के लिए खेतों की तरफ गया था। शाम तकरीबन तीन बजे भैंस चराते वक्त अचानक लोकेश का पैर गहरे गड्ढे में फिसल जाने से वह बरसात के पानी से लवालव गड्ढे में जा गिरा। लोकेश को छटपटाते देख अरुण ने अपना हाथ उसे पकड़ने के लिए बढ़ाया तो वह भी गड्ढे में फिसल गया। देखते ही देखते दोनो काल के गाल में शमा गये। मामले की सूचना साथ गये रोहित ने दौड़कर गांव में दी। दोनो चचेरे भाइयों के भट्ठे के गड्ढे में डूबने की खबर जंगल की आग की तरह क्षेत्र में फैल गयी। कई गांवों के लोग मौके पर पहुंच गये। मौके पर पहुंचे ग्रामीण पवन व गुड्डू मिस्त्री निवासी करनपुर व चन्द्रभान निवासी पुठरी ने काफी मसक्कत के बाद दोनो के शव गड्ढे से बाहर निकाल लिये। शव देखते ही ग्रामीणों की आंखों में खून उतर आया और वह कुछ कर गुजरने की मंशा लेकर भट्ठा मालिक मुकेश दीक्षित निवासी उखरा की चिमनी के पास पहुंचे और कार्यालय में मौजूद मुनीम हरीराम यादव निवासी उखरा के साथ जमकर गाली गलौज व हाथापाई कर दी।
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मौके पर मौजूद कर्मचारी रूपलाल व तनका को बुरी तरह डन्डों से पीट डाला। भट्ठा कार्यालय का छज्जा, कुर्सियां मौके पर खड़े दो ट्रैक्टर बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिये। मुनीम हरीराम की हीरोहाण्डा बाइक संख्या यूपी 76एच 1260 को भी तोड़ डाला। सूचना मिलने पर नबावगंज थानाध्यक्ष प्रदीप यादव फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे और तोड़फोड़ कर रहे ग्रामीणों को खदेड़ा। गुस्साये ग्रामीणों ने पुठरी चैराहे पर दोनो शव रख दिये और ट्रैक्टर, हैरो, थ्रेसर इत्यादि खड़े करके जाम लगा दिया। भीड़ इतनी कि देखकर किसी के भी होश उड़ जायें। मामला शांत न होते देख एसडीएम सदर राकेश पटेल मौके पर पहुंचे और घटना स्थल का निरीक्षण किया। तत्काल फोन द्वारा कानून गो महेश तोमर को बुलाकर गड्ढे की पैमाइस करने के आदेश दिये।
लेकिन इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी ग्रामीण जाम खोलने को तैयार नहीं थे। दबाव बढ़ता देख एसडीएम ने मामले की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दी। घटना के तकरीबन पांच घंटे बाद अपर पुलिस अधीक्षक ओपी सिंह के साथ एडीएम अरुण कुमार मौके पर पहुंचे और जाम लगाये लोगों को कार्यवाही का आश्वासन व आर्थिक मदद की बात कहकर जाम खुलवा दिया।