लखनऊ: शिक्षकों और कर्मचारियों को समय से वेतन का भुगतान किया जा सके इसके लिए जुलाई 2012 से ऑनलाइन वेतन भुगतान प्रणाली विकसित की गई। प्रदेश भर में इस भुगतान प्रणाली का उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऑनलाइन वेतन के लिए जरूरी आंकड़ों में गड़बड़ी के चलते तमाम शिक्षकों के वेतन नहीं जारी होने की शिकायतें मिली थीं। इससे आजिज आए मुख्य बेसिक शिक्षा सचिव सुनील कुमार ने एक नया फरमान जारी किया है। इसके तहत सभी जिलों को 25 जून तक ऑनलाइन वेतन भुगतान के लिए जरूरी सभी औपचारिकताएं निभा लेने का निर्देश दिया गया है। इस काम के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को व्यक्तिगत रुचि लेने का निर्देश दिया गया है।
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प्रदेश भर के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए निर्देश में दिया गया है कि राष्ट्रीय सूचना केंद्र एनआइसी द्वारा विकसित किए गए सॉफ्टवेयर के जरिए कर्मचारियों और शिक्षकों का डाटा जुटाया जाता है। लेखा एवं वित्त अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वह एनआइसी के सर्वर पर सभी शिक्षकों और कर्मचारियों का डाटा अपडेट करें। सचिव ने इंगित किया है कि शिक्षकों और कर्मचारियों से संबंधित जानकारियां हास्यास्पद है। किसी कर्मचारी के विद्यालय को प्राथमिक बताया गया है पर उसकी तैनाती उच्च प्राथमिक विद्यालय में बतायी गई है। इसी तरह जन्मतिथि और तैनाती तिथियों में भी गड़बड़ियां हैं।
नहीं हुआ पिछले आदेशों का पालन
मुख्य सचिव ने इससे पहले एक आदेश जारी कर सभी जिलों में शिक्षकों के बकाया भुगतान किए जाने का निर्देश दिया था। इसके लिए दिवस विशेष नियत कर सभी तरह के शिक्षक कर्मचारियों की वेतन, एरियर आदि का भुगतान कराने का आदेश दिया था। इलाहाबाद जिले में ही तमाम शिक्षकों के बकाए वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है। अंतरजनपदीय तबादले से आई सैकड़ों शिक्षिकाएं वेतन बकाए का भुगतान नहीं हासिल कर सकी हैं। शिक्षिकाओं का आरोप है कि वेतन बकाए के भुगतान के लिए बीआरसी और बीएसए कार्यालय के कर्मचारियों द्वारा हीलाहवाली बतायी जा रही है। शिक्षक अभी भी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।