इस माह की ऊपर की कमाई उत्तराखंड की मदद में भेजे

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Policeएकाएक वायरलेस पर प्रसारित सन्देश को थाने, चौकी, लेपर्ड और क्राइम ब्रांच के सिपाही, दरोगा, मुंशी, इंस्पेक्टर सभी ध्यान से सुन रहे थे| टाइगर का आदेश है- सभी थाने चौकिओ की यक्जाई की कमाई इस महीने उत्तराखंड में पीडितो के लिए जाएगी| सट्टा, डग्गामार, आरा मशीन, दारू के ठेके, कच्ची शराब की भट्टी वालो से समय से यक्जायी वसूल कर कोतवाली के मुंशी के पास जमा करें| अगली क्राइम मीटिंग में इसकी समीक्षा होगी और जिस कोतवाली चौकी की सबसे ज्यादा यक्जायी की मदद उत्तराखंड के लिए जाएगी उसे सम्मानित दिया जायेगा|

वायरलेस पर सन्देश कई बार रिपीट किया गया| कई पुलिस वालों ने तो पूरा सुना तो कई ने तत्काल वायरलेस बंद कर दिया| अब चर्चा शुरू हो गयी| मुंशी से ज्यादा चिंता की लकीरे कोतवाल के चहरे पर नजर आ रही थी| रात के 10 बजे चुके थे| इसी समय मुंशी/दीवान दिन भर की वसूली का हिसाब कोतवाल को समझा रहा था| गस्त के सिपहिओ के चेहरे पर कुछ मुस्कान दौड़ रही थी| गस्ती सिपहिओ की कमाई का तो कोई हिसाब किताब होता नहीं| नहीं मिला कोई मुर्गा| मगर कोतवाली और थाने चौकिओ पर आने वाली बंधी बधाई कमाई का तो पूरा लेख जोखा है| यही बात कल रात से खाकी वर्दी वाले भाई खाते पीते कर रहे थे|

कोतवाल साहब बाजार का चक्कर लगाकर लौटे तो गर्मी के मारे उबल कर रह गए| कमीज निकाल कुर्सी के पाए से अटकाई और जोरदार आवाज लगायी- ओ पहरा- जरा ठंडा पानी ला| जरा मुंशी को आवाज भी लगा देना| कोतवाल साहब बाजार गस्त के दौरान कुछ खास सिपहसालारो से मिले तो वाही वायरलेस सन्देश की चर्चा हो गयी| एक खास दलाल ने सुझाव दिया साहब परेशां क्यूँ होते हो रेट बढ़ा दो| उत्तराखंड की सहायता के नाम पर| दूसरा बोला वसूली का दायरा भी तो बढ़ सकता है| कोतवाल साहब सब सुन रहे थे, नए नए आईडिया भाई लोग उन्हें दे रहे थे| कोतवाल ने कुर्सी पर धोक लगाकर टाँगे कुर्सी पर अटकाई और एक लम्बी सांस ली| इतनी देर में मुंशी आ गया- साहब आपने बुलाया|

हाँ, जरा पिछले महीने की लिस्ट (वसूली वाली) तो ले आ| कुछ देर में मुंशी लिस्ट दे गया| कोतवाल ने लिस्ट अपनी डायरी में दबोची और मुंशी से पुछा, गस्त चली गयी| मुंशी ने साहब को दिलासा देते हुए कहा आप आराम कर लो बाकी मैं देख लूँगा|

कोतवाल साहब को मुंशी पर पूरा यकीन है| रात को कोतवाल साहब ने सूची खोली और नयी सूची तैयार कर दी| सट्टा, डग्गामारी, आरा मशीन से लेकर शराब और भांग के ठेके तक का महीना दोगुना कर दिया गया| सुबह होते ही कोतवाल ने सूची मुंशी को थमाई और अपने हमराह को दिशा निर्देश देते हुए बोले शाम तक ये वसूली होनी है| आखिर अपने कप्तान साहब की नाक का सवाल है| पहली बार धर्म करम के काम में ये पैसा जा रहा है| प्रदेश में अव्वल न हुआ तो बेकार है|
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कोतवाल साहब तो आदेश सुनकर चले गए अब बन आई मुंशी और हमराह की| दोनों ने मसाले की पुडिया फाड़ी मुह आसमान की और करके गलफड़े तक धकेली और मुह बंद कर लिया| आँखे मिली तो दोनों को बात समझ में आ गयी| दोनों ने एक नयी सूची तैयार कर सट्टा, डग्गामारी और आरा मशीन, शराब के ठेके सब के सब की वसूली के रेट तीन गुने कर दिए| दोनों में मूक समझौता भी हो गया| साहब की सूची के बाद जो मिलेगा आधा आधा बाट लेंगे|

इसके बाद निकल पड़े दोनों वसूली को-
शेष अगले अंक में-

नोट- ये व्यंग वर्तमान व्यवस्था पर चोट करते हुए लिखा गया है| किसी स्थान विशेष से भी इस लेख का लेना देना नहीं नही| किसी से मेल खाता हो या मिलता जुलता हो उसके लिए लेखक जिम्मेदार नहीं है|