चेतावनी: शनिवार तक विकराल हो सकती है मंदाकिनी, प्रशासन बेखबर

Uncategorized

FARRUKHABAD : पहाड़ों पर लगातार जारी मूसलाधार वर्षा के बाद उत्तराखण्ड में बाढ़ के कारण हुई भयानक तबाही अब धीरे धीरे मैदानी क्षेत्रों की ओर अग्रसर है। अधिशासी अभियंता सिंचाई रतिराम की मानें तो अगले दो दिनों में भागीरथी चेतावनी बिंदु को पार कर सकती है और शनिवार तक ‘‘हाई फ्लड लेबिल’’ तक पहुंच सकती है। इसके बावजूद प्रशासन अभी तक धीमे कदमों से बढ़ रही भयावह आपदा से बेखबर लग रहा है।

[bannergarden id=”8″]

gangaअधिशासी अभियंता सिंचाई रतिराम ने बताया कि फिलहाल नरौरा से पानी छोड़े जाने की दर दो लाख क्यूसेक (घन मीटर प्रति सेकेंड) है। जबकि बिजौनौर बैराज से पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। नरौरा से छोड़ा गया पानी दो दिनों में यहां पहुंचने की संभावना है। जिससे गुरुवार तक जल स्तर चेतावनी बिंदु को पार कर सकता है। उन्होंने बताया कि बिजनौर बैराज से छोड़े गये पानी का प्रभाव शनिवार तक नजर आयेगा और जिसके चलते गंगा का जल स्तर हाई फ्लड लेबिल 137.10 मीटर से भी ऊपर चले जाने की आशंका है।

[bannergarden id=”11″]

इस स्थिति से निबटने के लिए तैयारियों के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने लगभग पल्ला झाड़ते हुए बताया कि इसकी सूचना जिला प्रशासन को दे दी गयी है और बाकी तैयारियां प्रशासन के स्तर पर ही की जानी है। परन्तु पारम्परिक रूप से जनपद में सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र तहसील अमृतपुर के एसडीएम अरुण कुमार ने बताया कि उनको अभी तक बाढ़ के सम्बंध में सिंचाई विभाग से कोई चेतावनी प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि इसके बावजूद पूर्व में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई बाढ़ नियंत्रण सम्बंधित बैठक में दिये गये निर्देशों के क्रम में बाढ़ चौकियां स्थापित कर कर्मचारियों की तैनाती कर दी गयी है।

उन्होंने बताया कि गंगा और रामगंगा दोनों में बाढ़ की स्थिति में तहसील अमृतपुर के लगभग 72 ग्राम पंचायतें बाढ़ से प्रभावित होती हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि तहसील की मात्र पांच छः ग्राम पंचायतों में ही नावों की व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि बाढ़ की स्थिति में आवश्यकता पड़ने पर नावें किराये पर लिये जाने के लिए लगभग 40 नावों को चिन्हिंत कर लिया गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि भयंकर बाढ़ की स्थिति में तहसील क्षेत्र का कोई सरकारी भवन सुरक्षित नहीं रह पाता है। जिसके चलते ग्रामीण या तो बरेली हाइवे पर डेरा जमाते हैं या शहर में अपने रिश्तेदारों के यहां पनाह लेते हैं। सातनपुर मण्डी में भी प्रशासन की ओर से बाढ़ प्रभावित ग्रामीणों को रुकाने की व्यवस्था की जाती है। उन्होंने बताया कि फिलहाल कम बाढ़ की स्थिति में तहसील एवं ब्लाक राजेपुर में बाढ़ पीड़ितों को रुकाने की व्यवस्था भी रखी गयी है।