मूसलाधार बारिश से भीगा सातनपुर मण्डी का गेहूं

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FARRUKHABAD : प्रशासन की लापरवाही से हर वर्ष न जाने कितना अनाज बर्बाद हो जाता है। आदमी को तो छोडि़ये जानवरों तक को खाने लायक यह गेहूं नहीं बचता। लेकिन कागजी घोड़े बराबर सकारात्मक जानकारी शासन को मुहैया समय समय पर कराते रहते हैं। जिससे कोई ठोस कदम शासन की तरफ से नहीं उठता। प्रति वर्ष अनाज के रख रखाव के नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। बीते कुछ दिनों से हो रही बारिश में वही हुआ जो विगत वर्षों हुआ था। बारिश की फुहारों से कई बोरे अनाज भीग गया। आनन फानन में पालीथिन इत्यादि डालकर अनाज को ढका जा सका।

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प्रशासन द्वारा सरकारी गेहूं की खरीद करके उनका भण्डारण सातनपुर नवीन मण्डी में टीन शेड़ों के नीचे किया गया। जिसमें हजारों की संख्या में बोरे भरे थे। सुरक्षा में कुछ होमगार्ड भी लगाये गये थे। वह भी समय पर नहीं पहुंचे। परिणामस्वरूप या तो बोरों को आवारा पशुओं ने फाड़ दिया या कुछ को बंदरों ने नोच नोच कर चारो तरफ फर्श पर फैला दिया। बरसात आने से पूर्व प्रशासन ने अनाज भण्डारण को सुरक्षित रखने के लिए कोई उचित व्यवस्था तक नहीं की। जिससे बरसात शुरू होते ही गेहूं का भीगना लाजमी था।

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रविवार व सोमवार को हुई लगातार बारिश में मण्डी के टीनशेड में रखा सैकड़ों बोरे गेेहूं भीग गया। बमुस्किल मौके पर मौजूद होमगार्ड व अन्य कर्मचारियों ने इधर उधर से पालीथिन की व्यवस्था करके गेहूं को ढका। लेकिन फिर भी जगह जगह टूटे टीन शेड व हवा के साथ हो रही बारिश में कई जगह बोरों को भिगो दिया। जिससे गेहूं सड़ना तय माना जा रहा है।